वाराणसी: कई घरों में तानों, अपमान, कुपोषण, बीमारी और असुरक्षा से घिरी महिलाओं को देखकर राखी रानी का दिल लंबे समय से भीतर ही भीतर बेचैन होता था। बचपन से सुनती आई बात कि नारी शक्ति स्वरूपा है, देवी मानी जाती है, लेकिन वास्तविक जीवन में महिलाओं की यह स्थिति क्यों, इस सवाल ने उन्हें गहरे तक झकझोर दिया। इन्हीं विचारों ने राखी रानी को महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने का संकल्प दिया और उन्होंने इसे अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बना लिया।
आज राखी रानी वाराणसी की उन चुनिंदा समाजसेवियों में शामिल हैं, जो असहाय और पीड़ित महिलाओं का हाथ पकड़कर उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा रही हैं। पिता की सीख सेवा परमो धर्म से प्रेरित होकर उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। इसी दिशा में उन्होंने थ्रीबी फाउंडेशन की स्थापना की, जो आज कई महिलाओं के लिए उम्मीद और भरोसे का एक महत्वपूर्ण आधार बन चुका है।
राखी बताती हैं कि जब उन्होंने महिलाओं के बीच समय बिताना शुरू किया तो पाया कि उनकी समस्याएं सतह पर दिखने वाले संघर्षों से कहीं अधिक गहरी हैं। शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी, घरेलू हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां उन्हें रोजाना प्रभावित कर रही थीं। सबसे गंभीर समस्या के रूप में मासिक धर्म स्वच्छता की कमी सामने आई, जिससे कई महिलाएं और किशोरियां लगातार बीमार पड़ रही थीं।
इन्हीं हालातों को देखते हुए राखी ने प्रोजेक्ट शी की शुरुआत की, जिसके तहत लड़कियों और महिलाओं में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट न केवल स्वच्छता सामग्री उपलब्ध कराता है बल्कि उन्हें सही जानकारी और भरोसा भी देता है ताकि वे बिना किसी झिझक के अपनी सेहत का ध्यान रख सकें। इस पहल ने ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है।
इसके अलावा फाउंडेशन महिलाओं को सिलाई, हस्तकला और अन्य कौशलों का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है। स्कूल जाने वाली छात्राओं को साइकिल उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे बिना किसी बाधा के शिक्षा जारी रख सकें। कई जरूरतमंद परिवारों को खाद्य सामग्री से लेकर बेटी के विवाह तक में आर्थिक सहायता दी जाती है। अब तक सैकड़ों महिलाओं को इस पहल के माध्यम से नई दिशा मिली है।
राखी के साथ उनके पति चंद्रशेखर कुमार भी पूरी मजबूती से खड़े हैं, जो बरेका में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। वे कहते हैं कि राखी की समाज सेवा के प्रति समर्पण को वह सलाम करते हैं और हर संभव सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। आज थ्रीबी फाउंडेशन में लगभग 20 महिलाएं काम कर रही हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। यह कोशिश न केवल महिलाओं को मजबूत बना रही है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की एक नई संस्कृति को जन्म दे रही है।
राखी रानी का प्रयास इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि संवेदनशीलता और संकल्प के साथ उठाया गया एक कदम समाज में बड़ी और प्रभावी परिवर्तन की शुरुआत बन सकता है।
वाराणसी: राखी रानी ने थ्रीबी फाउंडेशन से बदला महिलाओं का जीवन, आत्मनिर्भरता की नई मिसाल

वाराणसी की समाजसेवी राखी रानी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए थ्रीबी फाउंडेशन की स्थापना की है, जो शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य पर केंद्रित है।
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