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वाराणसी: काशी विद्यापीठ में छात्रों का अनोखा प्रदर्शन, नीतियों के खिलाफ प्रतीकात्मक धान रोपी

वाराणसी: काशी विद्यापीठ में छात्रों का अनोखा प्रदर्शन, नीतियों के खिलाफ प्रतीकात्मक धान रोपी

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रों ने विश्वविद्यालय की नीतियों और अनियमितताओं के विरोध में प्रतीकात्मक धान रोपाई कर अनोखा प्रदर्शन किया।

वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मंगलवार को एक अनोखा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। विश्वविद्यालय के मानवीकी संकाय के पार्क में छात्र नेता आशुतोष तिवारी हर्षित के नेतृत्व में छात्रों ने प्रतीकात्मक धान रोपाई कर विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाई। यह कार्यक्रम छात्रों द्वारा प्रशासन का ध्यान परिसर में व्याप्त समस्याओं की ओर आकर्षित करने के लिए आयोजित किया गया था।

छात्र नेता आशुतोष तिवारी हर्षित ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं बढ़ती जा रही हैं। उनका कहना था कि इस वर्ष का दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय परिसर की बजाय रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जा रहा है ताकि कुलाधिपति और शिक्षा मंत्री परिसर की वास्तविक स्थिति का निरीक्षण न कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि मानवीकी संकाय, जहां कभी महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और चंद्रशेखर आजाद जैसी महान विभूतियां अध्ययन करती थीं, आज जलभराव और अव्यवस्था का सामना कर रहा है। छात्रों ने पूछा कि ऐसे माहौल में छात्र कैसे पढ़ाई कर पाएंगे और उन्हें स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण कैसे मिलेगा।

प्रतीकात्मक धान रोपाई के माध्यम से छात्रों ने विश्वविद्यालय की उपेक्षा और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करने का प्रयास किया। आशुतोष हर्षित ने कुलाधिपति और शिक्षा मंत्री से आग्रह किया कि वे स्वयं परिसर का दौरा करें और छात्रों के साथ धान रोपाई में भाग लेकर जमीनी स्थिति का निरीक्षण करें। उन्होंने कहा कि यह कदम छात्रों की शिक्षा और विश्वविद्यालय के गौरव की रक्षा के लिए आवश्यक है।

कार्यक्रम में सूर्यांश सिंह, राहुल पांडेय, विश्वज्योति तिवारी, आदर्श पांडेय, आकाश सिंह, दीपक सिंह और आशुतोष दूबे सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे। छात्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि प्रशासन को वास्तविक समस्याओं से अवगत कराना और विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखना है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। छात्रों के इस पहलू ने परिसर में चर्चा का माहौल बना दिया है और विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए भी यह चेतावनी की तरह माना जा रहा है कि छात्रों की समस्याओं की अनदेखी नहीं की जा सकती।

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