वाराणसी में नव्य और भव्य विश्वनाथ धाम के पुनरुद्धार ने शहर की धार्मिक पहचान को नई ऊंचाई दी है। धाम के विस्तार और सौंदर्यीकरण के बाद काशी धार्मिक यात्राओं का प्रमुख केंद्र बन गई है। पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या ने होटल, रेस्टोरेंट और हस्तशिल्प से जुड़े कारोबार में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी उभरे हैं। सरकार धार्मिक परिपथ को पर्यटन के रूप में विकसित करने पर लगातार काम कर रही है और जिला प्रशासन इसकी व्यापक ब्रांडिंग में जुटा है।
धार्मिक स्थलों के साथ साथ अब हेरिटेज भवन और ऐतिहासिक स्थलों के पुनर्विकास की तैयारी भी चल रही है। शहर भर में लगाए गए फ्लैक्स पर बार कोड की सुविधा दी गई है, जिसे स्कैन करने पर धार्मिक परिपथ के प्रमुख स्थलों की दूरी और जानकारी उपलब्ध हो जाती है। इससे पर्यटकों को अपनी यात्रा की योजना बनाने में आसानी हो रही है।
बनारस को केंद्र में रखकर एक डे वन काशी टूर की रूपरेखा भी तैयार की गई है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में इसके लिए एक विशेष फ्लैक्स लगाया गया है, जिसमें काशी, विंध्याचल धाम, अयोध्या, प्रयागराज और चित्रकूट के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी दी गई है। इसके माध्यम से पर्यटकों को यह बताया जा रहा है कि वे किन मार्गों से वहां पहुंच सकते हैं और यात्रा के दौरान कौन से महत्वपूर्ण स्थान देख सकते हैं। काशी में पांच दिन के रात्रि प्रवास को आधार बनाकर पूरा धार्मिक परिपथ आसानी से कवर करने की योजना प्रस्तुत की गई है।
पहले दिन के टूर में बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती, काल भैरव मंदिर, हेरिटेज वाक, मान महल म्यूजियम, दुर्गा मंदिर, संकट मोचन मंदिर और बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर शामिल हैं। दोपहर में काशी विश्वनाथ भोग आरती, रामनगर फोर्ट, भारत माता मंदिर और राजघाट एएसआई साइट को जोड़ा गया है। शाम में गंगा आरती, नमो घाट, सारनाथ और शॉपिंग की व्यवस्था है।
दूसरे दिन का टूर विंध्याचल धाम के लिए रखा गया है, जिसमें कैथी के मारकंडेय महादेव, विंध्याचल मंदिर, कालीखोह, अष्टभुजा मंदिर और चुनार फोर्ट को जोड़ा गया है। तीसरे दिन प्रयागराज का भ्रमण है, जहां बड़ा हनुमान मंदिर, प्रयागराज म्यूजियम और सीता समाहित स्थल शामिल हैं। चौथे दिन अयोध्या का टूर रखा गया है, जिसमें राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी और कनक भवन प्रमुख आकर्षण हैं। पांचवें दिन काशी से चित्रकूट यात्रा का प्रावधान है, जिसके अंत में वाराणसी लौटकर सारनाथ लाइट एंड साउंड शो और स्थानीय बाजारों का भ्रमण शामिल है।
बनारस में बदलते पर्यटन ढांचे का असर व्यापक स्तर पर दिख रहा है। वर्ष 2014 से अब तक शहर में 51 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं ने आकार लिया है। विश्वनाथ धाम के निर्माण ने सेवा क्षेत्र में तेजी लाई है, जिसके कारण स्टे होम, होटल, मेडिकल टूरिज्म, इंस्टीट्यूट और परिवहन सेवाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। सड़क नेटवर्क, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है। प्रदेश की जीडीपी में बनारस का योगदान 1.99 प्रतिशत है और यह शीर्ष दस की रैंकिंग में शामिल है। रोपवे और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण से पर्यटन को और गति मिलने की संभावना है।
कुल मिलाकर काशी धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के समन्वय से एक नई पहचान गढ़ रही है, जहां आधुनिक सुविधाओं के साथ इसकी आध्यात्मिक विरासत को संजोकर आगे बढ़ाया जा रहा है।
वाराणसी में विश्वनाथ धाम के पुनरुद्धार ने पर्यटन को बढ़ावा दिया, अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती

वाराणसी में नव्य विश्वनाथ धाम के पुनरुद्धार से धार्मिक पर्यटन बढ़ा, स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई और रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं।
Category: uttar pradesh varanasi tourism
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