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लखनऊ: केजीएमयू डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी से किशोर को जन्मजात विकृति से दिलाई मुक्ति

लखनऊ: केजीएमयू डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी से किशोर को जन्मजात विकृति से दिलाई मुक्ति

केजीएमयू के डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी कर 14 वर्षीय किशोर को जन्मजात विकृति से मुक्त किया, जिसे गणेश का रूप माना गया था।

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ सर्जरी कर कुशीनगर निवासी 14 वर्षीय किशोर को जन्मजात विकृति से मुक्ति दिलाई है। यह मामला बेहद असामान्य था, क्योंकि जन्म के समय से ही किशोर के मस्तिष्क के ऊतक नाक के पास बाहर निकले हुए थे। ग्रामीण अंधविश्वास के कारण परिवार ने इसे भगवान गणेश का प्रतीक मान लिया और उसकी पूजा शुरू कर दी। लेकिन जब समस्या बढ़ी और ऊतक का आकार लगातार बड़ा होने लगा, तब किशोर को केजीएमयू लाया गया, जहां डॉक्टरों ने सफल सर्जरी कर उसे सामान्य जीवन का अवसर दिया।

प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर बृजेश मिश्रा ने बताया कि यह हाइपरटेलोरिज्म के साथ नासोएथमॉइडल एनसेफेलोसील का मामला था। इस स्थिति में मस्तिष्क के ऊतक खोपड़ी की हड्डियों से बाहर निकल आते हैं और चेहरे के ऊपरी हिस्से को विकृत कर देते हैं। इस किशोर के मामले में मस्तिष्क के ऊतक नाक की जड़ से बाहर निकलकर चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। ग्रामीणों ने इसे ईश्वरीय रूप मानकर पूजा शुरू कर दी, जबकि यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति थी।

जांच के बाद डॉक्टरों ने सर्जरी का निर्णय लिया। यह जटिल ऑपरेशन करीब आठ घंटे चला। पहले चरण में न्यूरोसर्जन डॉ. सोमिल जायसवाल ने मस्तिष्क से जुड़े ऊतकों को अलग किया, जबकि दूसरे चरण में प्लास्टिक सर्जनों ने चेहरे की संरचना का पुनर्निर्माण किया। प्रो. मिश्रा ने बताया कि सर्जरी के दौरान माथे और नाक की हड्डियों को सावधानीपूर्वक पुनः आकार देकर सामान्य रूप प्रदान किया गया। नाक का छिद्र जो अत्यधिक चौड़ा हो गया था, उसे भी पुनर्निर्मित किया गया।

सर्जरी पूरी तरह सफल रही और अब किशोर स्वस्थ है। डॉक्टरों का कहना है कि यह सर्जरी न केवल चिकित्सकीय दृष्टि से चुनौतीपूर्ण थी, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अंधविश्वास के कारण वर्षों तक सही उपचार नहीं हो पाया।

सर्जरी टीम में प्लास्टिक सर्जरी विभाग से प्रो. बृजेश मिश्रा, डॉ. रवि कुमार, डॉ. बी गौतम रेड्डी, डॉ. गौरव जैन, डॉ. अजहर फैयाज, डॉ. साक्षी भट्ट, डॉ. रुचा यादव, डॉ. आंचल अग्रवाल और डॉ. आकांक्षा मेहरा शामिल थे। वहीं न्यूरोसर्जरी टीम में प्रो. सोमिल जायसवाल, डॉ. विष्णु वर्धन, डॉ. शुत्रित त्यागी और डॉ. शुभम कौशल शामिल रहे। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. तन्मय तिवारी, डॉ. आमना खातून, डॉ. शांभवी झा, डॉ. छवि कारा, डॉ. ओबिली मनोज और डॉ. आयुषी माथुर ने सहयोग किया। सर्जरी के दौरान नर्सिंग टीम का नेतृत्व सिस्टर सरिता ने किया।

यह सर्जरी केजीएमयू की विशेषज्ञता और टीमवर्क का उदाहरण है, जिसने एक ऐसे बच्चे को नया जीवन दिया जो समाज की गलत धारणाओं के बीच वर्षों तक दर्द झेलता रहा।

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