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वाराणसी: मां अन्नपूर्णा मंदिर का पांच दिवसीय महोत्सव संपन्न, लाखों भक्तों ने किए दर्शन

वाराणसी: मां अन्नपूर्णा मंदिर का पांच दिवसीय महोत्सव संपन्न, लाखों भक्तों ने किए दर्शन

वाराणसी में मां अन्नपूर्णा मंदिर का पांच दिवसीय भव्य महोत्सव संपन्न हुआ, लाखों श्रद्धालुओं ने स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन किए।

वाराणसी: मां अन्नपूर्णा मंदिर का पांच दिवसीय भव्य महोत्सव भक्तिभाव और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। धन और अन्न की अधिष्ठात्री मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु काशी पहुंचे। पांच दिनों तक मंदिर परिसर भक्तों की भीड़, घंटे-घड़ियाल की गूंज और भक्ति रस से भरा रहा। अब मध्यरात्रि में मां अन्नपूर्णा के कपाट विधि-विधान से वर्षभर के लिए बंद कर दिए गए हैं।

मां अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने मध्यरात्रि में विधिपूर्वक महाआरती संपन्न कर कपाट बंद करने की परंपरा निभाई। उन्होंने मां अन्नपूर्णा के समक्ष समस्त भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति और देश में अन्न व धन की समृद्धि की कामना की। अब मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन का अगला अवसर आगामी धनतेरस पर ही मिलेगा।

अन्नकूट पर्व से शुरू होकर पांच दिन तक चले इस महोत्सव में श्रद्धालुओं की संख्या हर दिन बढ़ती गई। 18 से 22 अक्टूबर तक करीब 11 लाख 15 हजार भक्तों ने मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन किए। मंदिर प्रशासन के अनुसार, पहले दिन लगभग दो लाख 75 हजार श्रद्धालु पहुंचे, दूसरे दिन दो लाख, तीसरे दिन दो लाख 15 हजार, चौथे दिन एक लाख 75 हजार और अंतिम दिन दो लाख 50 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन किए।

मंदिर परिसर को इस अवसर पर भव्य रूप से सजाया गया था। मां अन्नपूर्णा के दरबार में 511 क्विंटल अन्न और 56 प्रकार के भोग का अर्पण किया गया। पूरे आयोजन के दौरान भक्तों के बीच अन्न, धन और धान के लावे का प्रसाद वितरित किया गया। पहले दिन साढ़े छह लाख रुपये मूल्य का खजाना और 11 क्विंटल लावा भक्तों को प्रसाद स्वरूप मिला।

भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष प्रबंध किए थे। दर्शन के लिए भक्त सुबह से रात तक लंबी कतारों में खड़े रहे, लेकिन मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन की एक झलक पाने की उत्सुकता उनके चेहरे पर थकान को पीछे छोड़ती रही। कई श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचे, तो कुछ देश-विदेश से इस दुर्लभ अवसर का साक्षी बनने आए थे।

महंत शंकर पुरी ने बताया कि मां अन्नपूर्णा का यह स्वर्णमयी विग्रह वर्षभर तक 16 भुन्नासी तालों के भीतर सुरक्षित रहता है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। मंदिर प्रशासन ने बताया कि दरबार के बंद होने के बाद भी मंदिर परिसर में नियमित पूजा-अर्चना और सेवाएं पूर्ववत चलती रहेंगी।

मां अन्नपूर्णा के इस भव्य महोत्सव ने एक बार फिर काशी की आध्यात्मिक पहचान को उजागर किया है। भक्तों का विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन करता है, उसके जीवन में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती।

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