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महाराजा एक्सप्रेस का काशी आगमन, विदेशी पर्यटकों का भव्य पारंपरिक स्वागत

महाराजा एक्सप्रेस का काशी आगमन, विदेशी पर्यटकों का भव्य पारंपरिक स्वागत

काशी में एक साल बाद महाराजा एक्सप्रेस का आगमन, 62 विदेशी पर्यटकों का पारंपरिक भारतीय संस्कृति से भव्य स्वागत किया गया।

वाराणसी: भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली काशी ने एक बार फिर अपने पारंपरिक आतिथ्य और वैभव का प्रदर्शन किया जब देश की सबसे लग्जरी ट्रेन महाराजा एक्सप्रेस शनिवार दोपहर करीब 1 बजे बनारस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर पहुंची। लगभग एक वर्ष बाद लौटने वाली इस विश्वप्रसिद्ध ट्रेन के आगमन के साथ ही स्टेशन का वातावरण किसी राजसी समारोह की तरह दमक उठा। स्टेशन परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था, और जैसे ही ट्रेन वहां पहुंची, ढोलक, नगाड़े और शहनाई की मधुर धुनों से माहौल गूंज उठा।

इस बार ट्रेन में सवार कुल 62 विदेशी पर्यटकों का पारंपरिक भारतीय संस्कृति के अनुरूप भव्य स्वागत किया गया। पर्यटक यूके, यूएस, यूक्रेन, इटली, ताइवान और यूरोप के विभिन्न देशों से आए थे। उनके स्वागत के लिए रेड कारपेट बिछाया गया था, और जैसे ही वे ट्रेन से उतरे, उन पर पुष्पवर्षा की गई। स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर विदेशी मेहमानों का स्वागत किया। वाराणसी की मिट्टी में रचे बसे संगीत और संस्कृति की झलक ने वहां मौजूद हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर दिया।

महाराजा एक्सप्रेस को भारत की सबसे भव्य और महंगी ट्रेन का दर्जा प्राप्त है। यह ट्रेन न केवल अपने शानदार इंटीरियर और सेवाओं के लिए जानी जाती है, बल्कि यह यात्रियों को भारतीय शाही जीवनशैली का अनुभव भी कराती है। ट्रेन के अंदर प्रवेश करते ही यात्री खुद को किसी राजमहल में पाते हैं। प्रत्येक कोच को राजा-महाराजाओं के समय की भव्यता के अनुरूप सजाया गया है। ट्रेन में दो शानदार रेस्तरां हैं, जहां भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों का स्वाद परोसा जाता है। ट्रेन में आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ ऐतिहासिक और पारंपरिक कला का समावेश इसकी विशिष्टता को और बढ़ाता है।

इस बार ट्रेन में सवार पर्यटकों में छह यात्री यूक्रेन से थे। अधिकांश पर्यटक पहली बार भारत आए हैं और वे काशी की आध्यात्मिकता और धार्मिक वातावरण को करीब से देखने के लिए उत्साहित हैं। बनारस स्टेशन से बाहर निकलने के बाद पर्यटकों को पहले ताज होटल ले जाया गया, जहां उन्हें विश्राम कराया गया। इसके बाद उन्हें सारनाथ के लिए रवाना किया गया, जहां उन्होंने भगवान बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया और वहां की धार्मिकता का अनुभव किया।

शाम के समय विदेशी मेहमान नमो घाट पहुंचे, जहां गंगा आरती के दौरान पूरे वातावरण में आध्यात्मिकता और भक्ति का रंग छा गया। दीप प्रज्वलन, मंत्रोच्चारण और आरती की गूंज ने वातावरण को और पवित्र बना दिया। पर्यटक इस दृश्य को देखकर अभिभूत हो उठे। अमेरिका से आए एक पर्यटक ने कहा कि उन्होंने भारत के बारे में बहुत सुना था, लेकिन यहां आकर जो आत्मीयता और सम्मान मिला, वह अनोखा है। वहीं इटली की एक पर्यटक ने कहा कि गंगा आरती का दृश्य जीवनभर याद रहेगा, यह भारत की आत्मा की झलक है।

पयर्टन विभाग के सहायक निदेशक पवन प्रसून ने बताया कि महाराजा एक्सप्रेस का पूरी क्षमता के साथ लौटना वाराणसी के पर्यटन के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि सरकार की देखो अपना देश योजना से घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है और अब विदेशी पर्यटकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल अक्टूबर 2024 में जब यह ट्रेन वाराणसी आई थी, तब इसमें केवल 22 यात्री सवार थे। इस बार सभी 62 सीटें भरी हुई हैं, जो पर्यटन में तेजी का संकेत देती हैं।

महाराजा एक्सप्रेस के गाइड अभिषेक सिंह ने बताया कि कोविड के बाद पहली बार ट्रेन ने पूरी क्षमता के साथ संचालन किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की यात्राएं भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने में मदद करती हैं। यह ट्रेन नई दिल्ली से चलकर आगरा, मथुरा और खजुराहो होते हुए वाराणसी पहुंचती है और यहां एक दिन रुकने के बाद वापस नई दिल्ली लौट जाती है। पूरे सफर की अवधि एक सप्ताह की होती है।

भारत की शाही विरासत और पारंपरिक संस्कृति को करीब से देखने और महसूस करने का अवसर देने वाली महाराजा एक्सप्रेस न केवल एक ट्रेन है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक भव्यता का चलता-फिरता प्रतीक बन चुकी है। बनारस के लोगों के लिए इसका आगमन सिर्फ एक ट्रेन का नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति, संगीत और आतिथ्य का उत्सव मनाने का अवसर है।

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