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मऊ: सड़क हादसे में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति व पत्नी का निधन, एक घायल

मऊ: सड़क हादसे में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति व पत्नी का निधन, एक घायल

मऊ में शनिवार देर रात सड़क किनारे खड़े ट्रेलर से इनोवा कार टकराने से नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी व पत्नी की मौत हो गई।

मऊ: दोहरीघाट थाना क्षेत्र अंतर्गत बसारथपुर के पास शनिवार देर रात हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे शैक्षणिक जगत और परिजनों को गहरे शोक में डुबो दिया। सड़क किनारे खड़े एक ट्रेलर से इनोवा कार की टक्कर हो जाने से नागपुर के कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी बादामी देवी की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में एक अन्य युवक गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब प्रो. त्रिपाठी अपने परिवार के साथ नागपुर से बिहार के गोपालगंज स्थित पैतृक गांव लौट रहे थे। गाड़ी चला रहे युवक वैभव ने पुलिस को बताया कि लंबा सफर तय करने के बाद जब उसे नींद आने लगी तो उसने यह बात कुलपति को बताई। थकान और सुरक्षा को देखते हुए प्रो. त्रिपाठी स्वयं गाड़ी चलाने लगे। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। बसारथपुर के पास सड़क किनारे पंचर होने की वजह से खड़ा ट्रेलर हादसे का कारण बन गया। इनोवा कार की ट्रेलर से जोरदार टक्कर हुई, जिसमें गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और प्रो. त्रिपाठी तथा उनकी पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई।

प्राप्त सूचना पर तत्काल दोहरीघाट थाना प्रभारी राज कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान बिहार के गोपालगंज जिला के मीरगंज निवासी प्रो. हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी बादामी देवी के रूप में हुई है।

जैसे ही यह दुखद समाचार उनके पैतृक गांव और परिजनों तक पहुंचा, घर में कोहराम मच गया। पारिवारिक सदस्यों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो उठा। क्षेत्र के लोग भी इस असामयिक निधन से स्तब्ध रह गए।

प्रो. हरेराम त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित विद्वान और शिक्षाविद् माने जाते थे। वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति भी रहे थे। संस्कृत साहित्य और शिक्षा जगत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी विद्वता, सरल स्वभाव और समाजसेवा की भावना ने उन्हें न केवल शैक्षणिक जगत में बल्कि आमजन के बीच भी सम्मान दिलाया था।

इस हादसे ने जहां उनके परिवार और परिचितों को गहरे सदमे में डाल दिया है, वहीं विश्वविद्यालय और शिक्षा जगत ने भी अपने एक कुशल मार्गदर्शक को खो दिया है। प्रो. त्रिपाठी और उनकी पत्नी के निधन की खबर से गोपालगंज, वाराणसी और नागपुर के शैक्षणिक समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है।

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