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मिर्ज़ापुर: जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया को सांप ने पांचवीं बार डसा, समय पर इलाज से बची जान

मिर्ज़ापुर: जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया को सांप ने पांचवीं बार डसा, समय पर इलाज से बची जान

मिर्ज़ापुर में जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया को उनके आवास पर सांप ने डस लिया, यह पांचवीं बार है जब उन्हें सांप ने डसा है, समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई।

वाराणसी/मिर्जापुर: ज़िंदगी और मौत के बीच एक बार फिर कड़ी टक्कर हुई, और जीत हुई जज़्बे की। मिर्जापुर जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया को गुरुवार शाम वाराणसी स्थित उनके आवास पर सांप ने डस लिया। यह कोई पहली बार नहीं था—यह पांचवीं बार था जब ज़हर ने उन्हें छूने की कोशिश की, मगर किस्मत और हौसले ने उन्हें फिर जीवनदान दिया।

घटना उस वक्त की है जब राजू कनौजिया अपने आवास से बाहर निकल रहे थे। अचानक एक नागिन ने हमला कर उन्हें डस लिया। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए परिवार और समर्थक तुरंत उन्हें पास के एक अस्पताल ले गए। चिकित्सकों ने तत्परता दिखाते हुए आवश्यक उपचार किया, और राहत की बात यह रही कि कुछ घंटों में उनकी तबीयत में स्पष्ट सुधार देखा गया। डॉक्टरों के मुताबिक, समय से इलाज और उनका पहले से अच्छा स्वास्थ्य उनके बचाव में सहायक रहा।

इस घटना ने एक बार फिर अजीब इत्तेफाक को उजागर किया। जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया को यह पांचवीं बार सांप ने डसा है। इससे पहले चार बार भी वे अलग-अलग मौकों पर सर्पदंश का शिकार हो चुके हैं, जिसमें से दो बार सर्पों की मृत्यु भी हो चुकी है। आश्चर्यजनक रूप से हर बार वे सुरक्षित बच निकलने में सफल रहे हैं, जो उनके शुभचिंतकों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं लगता।

खुद राजू कनौजिया ने भी इस घटना के बाद कहा, "यह मेरी जिंदगी में पांचवीं बार है जब सांप ने डसा है। लेकिन जनता का आशीर्वाद और ऊपरवाले की कृपा है कि मैं हर बार बच निकलता हूं। मुझे विश्वास है कि जब तक जनसेवा का संकल्प बाकी है, तब तक कोई ज़हर मेरा रास्ता नहीं रोक सकता।"

पिछले वर्ष भी एक नागिन ने जिला पंचायत आवास पर ही उन्हें डसा था, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए थे। लेकिन यह लगातार घटनाएं न केवल एक संयोग की तरह प्रतीत होती हैं, बल्कि लोगों के बीच कौतूहल और चर्चा का विषय भी बन गई हैं।

स्थानीय नागरिकों और समर्थकों में भी यह बात तेजी से फैल गई और कई लोगों ने इसे उनकी "धार्मिक रक्षा" या "दैविक आशीर्वाद" से जोड़कर देखा। कुछ ने तो सोशल मीडिया पर उन्हें "ज़हर पर भारी जनसेवक" जैसे उपनाम भी देने शुरू कर दिए हैं। वहीं कई लोग इसे लेकर गंभीर चर्चा भी कर रहे हैं कि आखिर बार-बार उनके साथ ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं।क्या यह मात्र इत्तेफाक है या इसके पीछे कोई गहरा संकेत?

सांप के मरने की भी पुष्टि हुई है, जिसे डसने के तुरंत बाद मृत पाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार कभी-कभी विष के आदान-प्रदान के दौरान सांप खुद भी झटका खा सकता है, लेकिन यह घटना जैविक दृष्टिकोण से भी दुर्लभ मानी जाती है।

इस पूरी घटना ने जहां एक ओर चिकित्सा सुविधा की तत्परता को दर्शाया, वहीं दूसरी ओर राजू कनौजिया की जीवटता को एक बार फिर प्रमाणित कर दिया। मिर्जापुर और वाराणसी दोनों जिलों में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग एक बार फिर उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।

राजनीतिक गलियारों में भी इस पर हलचल है, और कई नेताओं ने उन्हें फोन कर शुभकामनाएं दी हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की घटना उनके जनजीवन और राजनीतिक सक्रियता को किस तरह प्रभावित करती है, लेकिन इतना तो तय है।राजू कनौजिया का यह पांचवां सामना भी उनके साहस की अमिट छाप छोड़ गया है।

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