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लखनऊ विश्वविद्यालय: NSUI का जोरदार प्रदर्शन, मतदान व मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग

लखनऊ विश्वविद्यालय: NSUI का जोरदार प्रदर्शन, मतदान व मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग

लखनऊ विश्वविद्यालय में NSUI ने मतदान व मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, चुनावी निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

लखनऊ विश्वविद्यालय के केम्पस में राष्ट्रीय छात्र यूनियन ऑफ इंडिया यानी NSUI के कार्यकर्ताओं ने आज मतदान प्रक्रिया और मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने "वोट चोर गद्दी छोड़" के नारे लगाएं और एक हस्ताक्षर अभियान के बाद शांतिपूर्ण मार्च निकाला। NSUI उपाध्यक्ष आर्यन मिश्रा ने मंच से कहा कि चुनाव आयोग कैद हो चुका है और देश में चुनावी निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं; उनके शब्दों में राहुल गांधी द्वारा सामने रखे गए दावों और सबूतों की चर्चा का हवाला देते हुए यह दावा दोहराया गया कि वोटों में गड़बड़ी कर जनता की संप्रभुता पर आघात किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह मुहिम सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे देश के शिक्षण संस्थानों में चलायी जाएगी ताकि छात्र समुदाय के माध्यम से लोग अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक हों।

प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन और NSUI के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई; प्रशासन ने मार्च रोकने की कोशिश की तो छात्र नेताओं ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का प्रयास बताया। कुछ छात्र नेताओं ने आरोप लगाए कि सरकारी तंत्र और चुनावी संस्थान मिलकर सत्ता पक्ष के पक्ष में काम कर रहे हैं, जबकि अन्य ने कहा कि वे लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। आयोजकों ने ये भी कहा कि इस समय देश में रोजगार, गरीबी और अन्य व्यापक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास हो रहा है और वे इन बातों को भी अपने आंदोलन का हिस्सा बना रहे हैं। परिसर में मौजूद सुरक्षा और प्रशासन ने माहौल को तनावमुक्त रखने की बाबत कदम उठाये और कहा गया कि किसी भी तरह की अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जायेगी; दोनों पक्षों के बीच जारी बहस के बाद स्थिति शांति की ओर लौटती दिखी।

प्रदर्शन का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य व्यापक रहा: NSUI के वक्ताओं ने नोट किया कि बिहार सहित अन्य राज्यों में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम भी उनके अभियान की प्रेरणा हैं और वे ग्रामीण व शहरी इलाकों में जाकर लोगों तक अपनी बातें पहुंचायेंगे। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने मार्च रोकने के अपने कदमों का औचित्य स्थापित करने के लिये कहा कि परिसर में अनुशासन बनाए रखना उनका कर्तव्य है और किसी भी गतिविधि के लिये नियमों का पालन आवश्यक है। अब आगे की कड़ी इस बात पर निर्भर करेगी कि चुनावी संस्थानों और प्रशासन की ओर से प्रदर्शनकारियों की चिंताओं पर क्या जवाब मिलता है और छात्र संगठन अपनी मांगों को किस रूप में आगे बढ़ाते हैं।

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