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वाराणसी: शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र की सेहत में सुधार, विशेषज्ञ टीम निगरानी में

वाराणसी: शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र की सेहत में सुधार, विशेषज्ञ टीम निगरानी में

वाराणसी में पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र की सेहत में मामूली सुधार, विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार निगरानी कर रहे हैं।

वाराणसी के पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र की सेहत में मामूली सुधार दर्ज किया गया है। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है। अस्पताल प्रशासन ने जानकारी दी कि पिछले 24 घंटों में उनके वाइटल पैरामीटर्स में स्थिरता आई है और सुधार के संकेत मिले हैं।

शनिवार की रात उन्हें मिर्जापुर के एक अस्पताल से हार्ट अटैक की आशंका पर बीएचयू रेफर किया गया था। यहां डॉक्टरों ने ईसीजी और टू डी इको सहित अन्य जांच की और पाया कि उन्हें अटैक नहीं आया था। इसके बाद उन्हें इमरजेंसी से मेडिसिन विभाग के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। फिलहाल उन्हें नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है और एंटीबायोटिक थेरेपी, इंसुलिन तथा सहायक उपचार दिए जा रहे हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि वे लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ऑस्टियोआर्थराइटिस और प्रोस्टेट की समस्या है। बीमारी के कारण बेड सोर्स हुए थे, जिससे खून का संक्रमण हो गया। इसके अलावा वे एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी फेफड़ों की गंभीर सूजन से भी पीड़ित हैं। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के एमएस प्रो. केके गुप्ता ने बताया कि जीवनरक्षक पैरामीटर्स में मामूली सुधार देखा गया है और विशेषज्ञ टीम लगातार उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद तबले के प्रसिद्ध वादक थे। उन्होंने बचपन में पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत सीखा और नौ साल की उम्र में उस्ताद गनी अली साहब से खयाल की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान और ठाकुर जयदेव सिंह से भी संगीत की बारीकियां सीखीं।

बिहार के मुजफ्फरपुर में उन्होंने औपचारिक संगीत शिक्षा प्राप्त की और चार दशक पहले वाराणसी आकर इसे अपनी कर्मभूमि बनाया। खयाल, ठुमरी, दादरा, कजरी और चैती के अनूठे मिश्रण ने उन्हें देश विदेश में अलग पहचान दिलाई। वर्ष 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। 2014 में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे।

उनका प्रसिद्ध गीत खेले मसाने में होली आज भी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है। बीते दो साल से वह सार्वजनिक जीवन से दूर हैं और मिर्जापुर में सबसे छोटी बेटी नम्रता मिश्र के घर पर रह रहे हैं। परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद के कारण वे गुमनामी और तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हुए। उनकी बड़ी बेटी संगीता का निधन कोरोना काल में हो चुका है, जबकि दो बेटियां अनिता और ममता विवाहित हैं। नम्रता बीएचयू के संगीत विभाग में प्रोफेसर हैं। परिवार की मुश्किलों और बीमारियों के बीच भी पंडित छन्नूलाल मिश्र शास्त्रीय संगीत की विरासत को जीवित रखने वाले महानायक के रूप में याद किए जा रहे हैं।

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