वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध और यूनेस्को की धरोहर में शामिल रामनगर की रामलीला शनिवार से आरंभ हो रही है। इस अवसर पर त्रेता युग की झलक काशी के उपनगर रामनगर में जीवंत हो जाएगी। पहले दिन रावण जन्म की लीला प्रस्तुत की जाएगी। क्षीर सागर की झांकी और लंकेश के जन्म के साथ ही एक माह तक चलने वाली इस भव्य परंपरा की शुरुआत होगी। इस आयोजन को देखने के लिए देश और विदेश से दर्शकों का आना शुरू हो गया है और पूरा क्षेत्र उत्साह और आस्था से सराबोर है।
रामनगर की यह रामलीला सदियों पुरानी परंपरा है जिसे विश्व स्तर पर अपनी विशिष्टता और सांस्कृतिक महत्व के लिए मान्यता प्राप्त है। नगर निगम और किला प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। गुरुवार को अधिकारियों ने सभी स्थलों का निरीक्षण कर सफाई अभियान चलाया। रामबाग पोखरा और आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से स्वच्छता सुनिश्चित की गई। रावण जन्म लीला स्थल पर पानी निकालने के बाद गिट्टी और बालू डालकर समतलीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया। अन्य लीला स्थलों पर भी रंगाई और सजावट का काम संपन्न हो चुका है। अयोध्या मैदान को भी नया रूप दिया गया है ताकि दर्शकों को बेहतर अनुभव मिल सके।
किला प्रशासन ने भी अपनी ओर से तैयारियों को तेज कर दिया है। शुक्रवार को किला रोड पर पारंपरिक बग्घी का रिहर्सल होना है। रामलीला में उपयोग होने वाले पुतलों का निर्माण लगभग पूर्ण हो गया है। शिल्पकारों के अनुसार शुरुआती पंद्रह दिनों की लीलाओं में प्रयुक्त होने वाले पुतलों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है जबकि शेष पुतले भी अंतिम चरण में हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर रामनगर पुलिस ने 150 आरक्षियों, 25 दारोगाओं, पांच इंस्पेक्टर और एक क्षेत्राधिकारी की मांग की है। यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए दो ट्रैफिक दारोगा और 25 आरक्षी तैनात किए जाएंगे। चार घुड़सवार सिपाही और तालाब से जुड़ी लीलाओं के दौरान जल पुलिस की तैनाती भी की जाएगी ताकि किसी भी स्थिति में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
रामनगर की रामलीला का शुभारंभ इस बार अनंत चतुर्दशी पर हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत छह सितंबर को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजन और व्रत करने से अनंत फल प्राप्त होता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। भक्तजन रेशम के धागों में चौदह गांठें लगाकर उसे भगवान के पास रखकर पूजा करते हैं और मध्याह्न में पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
रामनगर की यह रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है। आने वाले दिनों में जब भगवान राम के जीवन की विभिन्न लीलाएं मंचित होंगी तो पूरा रामनगर श्रद्धा, आस्था और उत्सव के रंगों से सराबोर होगा।
वाराणसी: रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला शनिवार से शुरू, रावण जन्म का मंचन होगा

वाराणसी की यूनेस्को धरोहर रामनगर रामलीला शनिवार से शुरू हो रही है, पहले दिन रावण जन्म की लीला प्रस्तुत की जाएगी, तैयारियां पूर्ण।
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