नई दिल्ली: वर्ष 2027 का 2 अगस्त एक खगोलीय दृष्टि से इतिहास में दर्ज हो जाने वाला दिन होगा। इस दिन एक ऐसा पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा, जो न केवल लाखों लोगों को दिन में अंधेरे का अनुभव कराएगा, बल्कि वैज्ञानिकों और खगोल प्रेमियों के लिए भी यह एक बेजोड़ अवसर साबित होगा। इस विशेष खगोलीय घटना के दौरान लगभग छह मिनट तक सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा की छाया में छिपा रहेगा, और ऐसा दृश्य एक बार फिर देखने के लिए दुनिया को करीब एक सदी तक इंतजार करना पड़ेगा।
खगोल विशेषज्ञों के मुताबिक, यह दुर्लभ पूर्ण सूर्य ग्रहण अटलांटिक महासागर से शुरू होगा और फिर अपनी यात्रा में यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के कई हिस्सों को अपनी छाया में डुबो देगा। विशेष रूप से जिब्राल्टर जलडमरूमध्य, दक्षिणी स्पेन, उत्तरी मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, सूडान, सऊदी अरब, यमन और सोमालिया समेत अरब प्रायद्वीप के अन्य भागों में इस घटना को स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। वहीं जैसे-जैसे यह ग्रहण हिंद महासागर की ओर बढ़ेगा, इसकी तीव्रता धीरे-धीरे कम होती जाएगी और यह धुंधला पड़ जाएगा।
यह खगोलीय घटना सिर्फ अपनी भौगोलिक सीमा और अवधि के कारण खास नहीं है, बल्कि इसकी दुर्लभता भी इसे ऐतिहासिक बनाती है। पिछली बार ऐसा पूर्ण सूर्य ग्रहण 743 ईसा पूर्व में देखा गया था, जिसकी अवधि लगभग 7 मिनट 28 सेकंड रही थी। इस बार सूर्य लगभग 6 मिनट तक पूरी तरह छिपा रहेगा। पृथ्वी पर दिन में रात जैसा दृश्य छा जाना, वातावरण का अचानक ठंडा हो जाना और पक्षियों व जानवरों की असहज गतिविधियाँ। ये सभी प्रभाव इस घटना को न केवल दृश्यात्मक बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सूर्य ग्रहण खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए एक अनूठा अवसर होगा। ग्रहण के दौरान सूर्य के बाहरी परत 'कोरोना' का अध्ययन किया जा सकेगा, जो सामान्य परिस्थितियों में नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। इसके अलावा, यह खगोलीय घटना पृथ्वी के वायुमंडलीय प्रभावों, मौसम परिवर्तन और प्रकाशीय गुणों के विश्लेषण के लिए भी बेहद उपयोगी मानी जा रही है।
हालांकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय वेधशालाएं और अंतरिक्ष एजेंसियाँ इस दौरान लाइव स्ट्रीमिंग और विश्लेषण के जरिए दुनिया भर के दर्शकों को इस अनुभव से जोड़ने की तैयारी कर रही हैं। आम नागरिकों और खगोल प्रेमियों को भी इस अनोखे अवसर का लाभ उठाने की सलाह दी जा रही है, बशर्ते वे इसे सुरक्षित तरीकों से देखें।
इस सदी का यह दुर्लभ पूर्ण सूर्य ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि मानवता को ब्रह्मांड की विशालता और प्रकृति की रहस्यमयी शक्ति का एक अद्भुत दर्शन कराएगा। 2 अगस्त 2027 को, जब दिन के उजाले में छह मिनट तक रात छा जाएगी, तब आसमान की उस नायाब झलक के साक्षी बनना निस्संदेह एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। ऐसा जो जीवन भर याद रहेगा और अगली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा।
2 अगस्त 2027: सदी का दुर्लभ सूर्य ग्रहण, 6 मिनट तक छाएगा अंधेरा

2 अगस्त 2027 को सदी का सबसे दुर्लभ सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें दिन में 6 मिनट तक अंधेरा छा जाएगा, यह खगोलीय घटना अटलांटिक महासागर से शुरू होकर यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में दिखाई देगी।
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