वाराणसी: कभी राजघाट पुल गंदगी, धूल और अव्यवस्था का पर्याय माना जाता था। पुल से गुजरने वाले लोग अक्सर शिकायत करते दिखते थे कि यहां की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। लेकिन वो कहते हैं, न कि इच्छाशक्ति अगर अटल हो, तो परिस्थितियाँ चाहे जितनी कठिन हों, बदलाव ज़रूर आता है। इसी बदलाव का नाम है: मंगल केवट।
एक साधारण रिक्शा चालक, पर मन में असाधारण संकल्प काशी के इस बेटे ने अपनी मेहनत, जुनून और राष्ट्रभक्ति के दम पर राजघाट पुल का चेहरा बदल दिया। जैसे बिहार के दशरथ मांझी ने पहाड़ चीरकर रास्ता बनाया, ठीक उसी तरह मंगल केवट ने गंदगी के पहाड़ को हटाकर राजघाट को चमका दिया।
मंगल केवट बार-बार कहते हैं कि उनके आदर्श प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन पीएम के भाषण में उन्होंने सुना कि “अगर आप किसी समस्या के समाधान का हिस्सा नहीं हैं, तो आप ही समस्या हैं।” बस, यही वाक्य उनके जीवन का मंत्र बन गया। उन्होंने तय कर लिया कि किसी दिन मौका मिलेगा तो राजघाट को बिल्कुल साफ-सुथरा, सुंदर और आकर्षक बना देंगे, ताकि आने-जाने वाला हर व्यक्ति यह महसूस करे कि काशी का द्वार कैसा होना चाहिए।
मंगल बताते हैं, “भैया, कभी ये पुल इतना गंदा था कि लोग रुकना भी नहीं चाहते थे। दोनों किनारों पर मिट्टी जमी रहती थी, लोग खुले में कचरा फेंक देते थे, और गंगा जी में फूल-मालाएँ भी गिराई जाती थीं। लेकिन मैंने ठान ली कि इसे साफ करूँगा और ऐसा करूँगा कि लोग खुद बदलाव महसूस करें।”
इस संकल्प के साथ उन्होंने, अपने खर्च से कचरा पेटियाँ लगवाईं, रोज खुद झाड़ू लगाई, लोगों को समझाया कि गंगा में गंदगी न डालें, और सोशल मीडिया पर भी स्वच्छता का संदेश फैलाया। उनके प्रयासों ने इतना प्रभाव डाला कि सरकार और नगर निगम ने भी राजघाट पर नियमित सफाई की व्यवस्था शुरू कर दी। यहां तक कि जिला अधिकारी योगेश राम मिश्री ने उन्हें लिखित रूप से पुल गोद लेने की अनुमति दी। यह किसी भी आम नागरिक के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
मंगल केवट स्वच्छता अभियान में अपने योगदान के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में आए। 2020 में वाराणसी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात की और उनके प्रयासों की प्रशंसा की।
इसके बाद पीएम आवास योजना के तहत मिला घर मंगल के लिए मानो जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी। घर बनने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को गृह-प्रवेश का निमंत्रण भी भेजा था।
भले ही प्रधानमंत्री व्यस्तता के कारण नहीं आ सके, लेकिन मंगल केवट को इस कार्य ने उन्हें पूरे वाराणसी में और अधिक सम्मान दिलाया।
2021 में एक विवाद के दौरान मंगल केवट का पुलिस से सामना हो गया था। कई लोग होते हैं जो ऐसी स्थिति में चुप रह जाते हैं, लेकिन मंगल ने अपनी ईमानदारी और हक़ के लिए आवाज उठाई और सीधे पुलिस कमिश्नर से शिकायत की।
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि स्वच्छता केवल झाड़ू लगाने का काम नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों को भी समझना और निभाना है।
राजघाट पुल ही नहीं, मंगल अपने गांव में भी गंगा किनारे की सफाई करते हैं। रोज सुबह उठकर अकेले तट की सफाई करना उनका रोज़मर्रा का हिस्सा है। उनका मानना है, “स्वच्छता सिर्फ सरकार का काम नहीं, हर नागरिक का धर्म है।”
आज राजघाट पुल का नज़ारा बिल्कुल बदल चुका है।जहाँ पहले कचरा दिखता था, आज स्वच्छता दिखती है। जहाँ पहले उपेक्षा थी, आज सजगता है। जहाँ पहले गंदगी उड़ती थी, अब तिरंगा लहराता है।
मंगल केवट ने राजघाट पुल पर न केवल सफाई की, बल्कि राष्ट्रध्वज फहराकर यह संदेश दिया कि स्वच्छता भी देशभक्ति का एक रूप है।
मंगल केवट कहते हैं “भैया, राजघाट काशी का पूरब द्वार है। इसे सुंदर और स्वच्छ बनाना मेरा सपना है। जब तक गंगा माता हैं, मैं सेवा करता रहूँगा।” उनकी मेहनत, समर्पण और ईमानदारी ने यह साबित कर दिया है कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो अकेला व्यक्ति भी पूरे शहर की तस्वीर बदल सकता है।
वाराणसी: रिक्शा चालक मंगल केवट ने बदल दी राजघाट पुल की तस्वीर, प्रेरणा बने पीएम मोदी

वाराणसी के रिक्शा चालक मंगल केवट ने पीएम मोदी के विचारों से प्रेरणा लेकर राजघाट पुल की गंदगी साफ कर उसे चमकाया।
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