लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर 2025, मंगलवार को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस के अवसर पर राज्यभर में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। आदेश के अनुसार, इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अधिकांश निजी शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सरकार का कहना है कि यह छुट्टी सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि गुरु तेग बहादुर की उस अदम्य वीरता, धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति समर्पण और मानवाधिकारों की रक्षा को सम्मान देने का प्रयास है, जिसने भारतीय इतिहास में एक अनूठा स्थान बनाया।
राज्य सरकार की घोषणा के बाद गुरुद्वारों में तैयारियां तेज हो गई हैं। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा, मेरठ से लेकर गोरखपुर तक कई स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएँ, शोभा यात्राएँ, कीर्तन, अरदास और सामूहिक लंगर के आयोजन की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस दिन विशेष जन-जागरण कार्यक्रमों और युवा संवाद श्रृंखलाओं की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संदेश में गुरु तेग बहादुर को “मानव सेवा और धर्म रक्षा के अमिट प्रतीक” बताते हुए कहा कि उनकी शहादत भारत के बहुलवादी समाज की आत्मा में गहराई तक अंकित है। मुख्यमंत्री ने कहा, “गुरु तेग बहादुर ने अपने बलिदान से यह सिद्ध किया कि धर्म की रक्षा का अर्थ सभी की आस्था और स्वतंत्रता की रक्षा करना है। भारत उनके ऋण से कभी मुक्त नहीं हो सकता।”
गुरु तेग बहादुर, सिख धर्म के नौवें गुरु, का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद के पुत्र के रूप में हुआ था। बचपन में उनका नाम ‘त्याग मल’ था, पर अपनी वीरता और तलवारबाज़ी की क्षमता के कारण वे आगे चलकर ‘तेग बहादुर’ नाम से प्रसिद्ध हुए। आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ उन्होंने सैन्य शिक्षा, घुड़सवारी, तीरंदाजी और धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। 1665 में गुरु पद ग्रहण करने के बाद उनका जीवन लगातार समाज सेवा, आध्यात्मिक शिक्षाओं और मानवाधिकारों की रक्षा को समर्पित रहा।
गुरु तेग बहादुर का सबसे बड़ा योगदान उस दौर में सामने आता है जब मुगल शासन में जबरन धर्मांतरण के प्रयास तेज थे। कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधिमंडल जब सहायता की गुहार लेकर उनसे मिला, तब उन्होंने न सिर्फ उनका पक्ष लिया बल्कि इस उत्पीड़न के विरुद्ध खुलकर खड़े हुए।
उन्होंने कहा कि “यदि मेरे धर्मांतरण से सबको बचाया जा सकता है, तो मैं स्वयं आगे आऊँगा, लेकिन धर्म नहीं बदलूँगा।” भारतीय इतिहास में नैतिक साहस और धार्मिक स्वतंत्रता के सर्वोच्च उदाहरण के रूप में दर्ज है।
गुरु तेग बहादुर के कई भजन और श्लोक गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं, जिनमें त्याग, मृत्यु-दर्शन, ईश्वर भक्ति, निडरता और मानवता जैसे गहरे आध्यात्मिक विचार स्पष्ट झलकते हैं। उनकी वाणी समाज को यह सिखाती है कि भय, क्रोध और लालसा से मुक्त होकर ही मनुष्य सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है।
भारत के अनेक हिस्सों कश्मीर, असम, बंगाल, बिहार, पंजाब में गुरु तेग बहादुर की यात्राएँ आज भी ऐतिहासिक महत्व रखती हैं। जहाँ-जहाँ वे पहुंचे, वहाँ लंगर, कुएँ, धर्मशालाएँ और जनसेवा के केंद्र स्थापित किए गए। उन्होंने आनंदपुर साहिब की स्थापना की, जो आगे चलकर सिख समुदाय का बड़ा आध्यात्मिक और सामाजिक केंद्र बना।
औरंगजेब के दरबार में उन्हें यह आदेश दिया गया कि या तो वे इस्लाम स्वीकार करें या कोई चमत्कार दिखाएँ। लेकिन गुरु तेग बहादुर ने दोनों से स्पष्ट इंकार कर दिया और कहा कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए किसी चमत्कार की आवश्यकता नहीं होती।
24 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में उनका बलिदान हुआ। जहाँ उन्हें शहीद किया गया, वहाँ आज गुरुद्वारा सिस गंज साहिब, और जहाँ उनका अंतिम संस्कार हुआ, वहाँ गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब स्थित है। उनकी शहादत उन्हें “हिंद की चादर” यानी धर्म और मानवीय मूल्यों की रक्षा की ढाल के रूप में प्रतिष्ठित करती है।
सिख समाज के लिए गुरु तेग बहादुर की शहादत वह एक मोड़ है, जिसने आगे चलकर उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना को प्रेरित किया। उनका बलिदान यह संदेश देता है कि धर्म किसी एक समुदाय की संपत्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की नैतिक जिम्मेदारी है।
आज भी उनके विचारों को सहिष्णुता, बहुलवाद, नागरिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कई विद्वान इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार दिवस के रूप में मान्यता दिए जाने की आवश्यकता भी बताते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय उस सामाजिक भावना को सम्मान देता है जिसे गुरु तेग बहादुर की शहादत ने जन्म दिया।
यह अवकाश लोगों को इतिहास, विरासत और उन मूल्यों को याद करने का अवसर देता है जिनके लिए उन्होंने प्राणों का बलिदान दिया। धर्म की स्वतंत्रता, सत्य, करुणा और नैतिक साहस।
युवा पीढ़ी भी इस दिन को प्रेरणा के रूप में देख सकती है कि विपरीत परिस्थितियों में सिद्धांतों पर अडिग रहने की शक्ति कैसी होती है, और कैसे एक व्यक्ति पूरे समाज की आत्मा को दिशा दे सकता है।
25 नवंबर का अवकाश केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि गुरु तेग बहादुर के बलिदान पर देशव्यापी सम्मान का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारत की आत्मा विविधता, स्वतंत्रता और सभी के अधिकारों की रक्षा में निहित है, और इसी आत्मा की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
उत्तर प्रदेश में 25 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश

उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, राज्य में तैयारियां तेज।
Category: uttar pradesh government news
LATEST NEWS
-
वाराणसी: रिक्शा चालक मंगल केवट ने बदल दी राजघाट पुल की तस्वीर, प्रेरणा बने पीएम मोदी
वाराणसी के रिक्शा चालक मंगल केवट ने पीएम मोदी के विचारों से प्रेरणा लेकर राजघाट पुल की गंदगी साफ कर उसे चमकाया।
BY : SANDEEP KR SRIVASTAVA | 24 Nov 2025, 09:38 PM
-
वाराणसी में 25 नवंबर को सभी मीट-मुर्गा दुकानें रहेंगी बंद, प्रशासन ने जारी किया सख्त आदेश
वाराणसी नगर निगम ने 25 नवंबर को साधु टी.एल. वासवानी की जयंती 'अभय दिवस' पर सभी मीट-मुर्गा दुकानों को बंद रखने का सख्त आदेश दिया है।
BY : SANDEEP KR SRIVASTAVA | 24 Nov 2025, 08:32 PM
-
बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन, विले पार्ले में दी गई अंतिम विदाई
हिंदी सिनेमा के 'ही-मैन' धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया, मुंबई के विले पार्ले में उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
BY : SANDEEP KR SRIVASTAVA | 24 Nov 2025, 07:57 PM
-
उत्तर प्रदेश में 25 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश
उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, राज्य में तैयारियां तेज।
BY : SANDEEP KR SRIVASTAVA | 24 Nov 2025, 07:26 PM
-
वाराणसी: रामनगर को मिला विकास का नया आयाम, विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने सीसी मार्ग का किया शिलान्यास
वाराणसी के रामनगर में विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने 12.28 लाख के सीसी रोड का शिलान्यास कर लोगों की वर्षों पुरानी मांग पूरी की, सुगम आवागमन सुनिश्चित होगा।
BY : SANDEEP KR SRIVASTAVA | 24 Nov 2025, 07:13 PM
