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वाराणसी: WWE रेसलर रिंकू सिंह ने प्रेमानंद शिष्यों संग किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, फेरी गदा

वाराणसी: WWE रेसलर रिंकू सिंह ने प्रेमानंद शिष्यों संग किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, फेरी गदा

WWE के पूर्व रेसलर रिंकू सिंह ने प्रेमानंद महाराज के शिष्यों संग बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए, फिर तुलसी घाट पर गदा फेरी।

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रविवार को एक विशेष और आध्यात्मिक दृश्य देखने को मिला। संत प्रेमानंद महाराज के शिष्यों के साथ पहुंचे WWE के पूर्व रेसलर रिंकू सिंह उर्फ वीर महान ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद उन्होंने परिक्रमा मार्ग का भ्रमण किया और अर्चक श्रीकांत से आशीर्वाद लिया। रेसलिंग की दुनिया में अपनी ताकत और जोश से नाम बनाने वाले रिंकू सिंह का यह आध्यात्मिक रूप देखकर भक्त और स्थानीय लोग आश्चर्यचकित रह गए।

इसके बाद वे तुलसी घाट पहुंचे, जहां उन्होंने परंपरागत ढंग से गदा फेरी। यह वही स्थान है, जिसे प्रेमानंद महाराज अपने जीवन की साधना का शुरुआती पड़ाव बताते थे। महाराज अक्सर अपने प्रवचनों में उल्लेख करते हैं कि उन्होंने तुलसी घाट के बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान साधना की थी और भिक्षा मांगकर जीवन यापन किया था। यह अनुभव ही आगे चलकर उन्हें वृंदावन जाने की प्रेरणा बना। आज वही स्थल रिंकू सिंह जैसे अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के माध्यम से एक बार फिर चर्चा में आया।

हाल ही में रिंकू सिंह का वृंदावन आश्रम का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वे पीले वस्त्र धारण कर गली में झाड़ू लगाते दिखाई दिए। 4 अगस्त को सामने आए इस वीडियो ने उनके प्रशंसकों को हैरत में डाल दिया था। जिन रिंकू सिंह ने कभी जॉन सीना जैसे दिग्गज रेसलरों को रिंग में हराया था, उनका यह विनम्र रूप लोगों के बीच चर्चा का विषय बना।

काशी आगमन से एक दिन पहले प्रेमानंद महाराज के शिष्य धीरेंद्र शास्त्री से भी मिले थे। गंगा किनारे हुई इस मुलाकात में उन्होंने संत परंपरा और सनातन की एकजुटता पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद जी किसी भी प्रकार की वैमनस्यता से परे अद्भुत महात्मा हैं और शीघ्र ही उनकी शरण में पहुंचने वाले हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने भी अपने भावुक अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके दादा गुरुजी ने जीवन के अंतिम क्षण काशी की पवित्र धरती पर बिताए थे। उन्होंने झोली और माला देकर उन्हें दीक्षा दी थी, जो उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत बनी।

धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि इस पवित्र भूमि पर एक दिव्य महापुरुष के दर्शन प्राप्त हुए, जिनकी उपस्थिति में उन्हें हनुमान जी की कृपा और विशेष ऊर्जा का अनुभव हुआ। हनुमान मंदिर के बगीचे में बैठकर वे लंबे समय तक भक्ति में लीन रहे और राधे-राधे का कीर्तन करते रहे। इसी क्रम में गंगा तट पर बैठकर उन्होंने "धारा" शब्द पर चिंतन किया और जैसे ही उन्होंने इसका उल्टा "राधा" देखा, उनके भीतर भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। संत जगत गुरुजी ने भी इस अनुभूति को अद्भुत बताते हुए कहा कि यह एक बहती धारा है, जिसमें मां राधा की कृपा समाहित है।

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