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राज्य सरकार ने बदले भवन निर्माण नियम, आवासीय क्षेत्रों में अब व्यावसायिक निर्माण संभव

राज्य सरकार ने बदले भवन निर्माण नियम, आवासीय क्षेत्रों में अब व्यावसायिक निर्माण संभव

राज्य सरकार ने भवन निर्माण व ज़ोनिंग नियमों में व्यापक संशोधन किए, आवासीय क्षेत्रों में चौड़ी सड़कों पर अब व्यावसायिक निर्माण की अनुमति।

लखनऊ: राज्य सरकार ने शहरी विकास से जुड़े ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए भवन निर्माण और जोनिंग के नियमों में व्यापक संशोधन कर दिए हैं। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी आदेश के बाद अब प्रदेश के अधिकांश शहरों में आवासीय इलाकों में व्यावसायिक निर्माण की कई सीमाएं समाप्त हो जाएंगी, जबकि नक्शा पास कराने की पूर्व बाध्यताएं भी कम कर दी गई हैं। यह परिवर्तन जुलाई माह में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी प्राप्त प्रस्ताव पर आधारित है।

चौड़ी सड़कों पर आवासीय + व्यावसायिक उपयोग को मंजूरी
नए नियमों के अनुसार, अब शहरी क्षेत्रों में निर्धारित चौड़ाई वाली सड़कों पर आवासीय भवनों के साथ दुकानों या अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण की अनुमति होगी।
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 24 मीटर चौड़ी सड़क पर। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़क पर।

इन सड़कों के किनारे स्थित भूखंडों पर मिश्रित उपयोग (मल्टी-यूज़) भवनों के लिए अब अतिरिक्त प्रशासनिक बाधाएं नहीं होंगी। विभाग का मानना है कि इससे शहरों में व्यापारिक गतिविधियों को सहजता मिलेगी और लोगों को अपने आवास के पास ही छोटे व्यापार स्थापित करने का अवसर बढ़ेगा।

100 वर्ग मीटर आवासीय और 30 वर्ग मीटर व्यावसायिक भूखंड पर नक्शा पास कराने की बाध्यता समाप्त
नया आदेश छोटे किसानों, छोटे भूखण्ड धारकों और साधारण गृह निर्माण करने वालों के लिए विशेष राहत लेकर आया है।
अब 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय भूखंड और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंड के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं होगा। इस कदम से निर्माण प्रक्रिया सरल होगी और आम नागरिकों को अनावश्यक कागजी कार्रवाई से राहत मिलेगी।

नई उपविधियां लागू , 2008 के नियम समाप्त
विभाग ने उप्र भवन निर्माण एवं विकास उपविधि–2008 को समाप्त करते हुए। उप्र विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां तथा आदर्श जोनिंग रेगुलेशन्स–2025 को लागू कर दिया है।
यह बदलाव प्रदेश के शहरी ढांचे को आगामी वर्षों में आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बड़े भूखंडों के लिए नक्शा स्वत: स्वीकृत
स्वीकृत ले-आउट क्षेत्रों में, 500 वर्ग मीटर के आवासीय भूखंड।
200 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंड। इन पर ऑनलाइन जमा किया गया नक्शा 'ट्रस्ट बेस्ड सिस्टम' के तहत स्वत: ही स्वीकृत माना जाएगा।
इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और फिजिकल जांच से जुड़ी देरी खत्म होगी।

एफएआर में बढ़ोतरी, 45 मीटर चौड़ी सड़कों के लिए पूरी छूट
नए नियमों के तहत अधिकांश श्रेणियों में फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) बढ़ाया गया है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि 45 मीटर चौड़ी सड़क पर स्थित भूखंडों पर एफएआर की बाध्यता पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। अब भवनों के निर्माण में ऊँचाई सीमा भी हटा दी गई है, जिससे डेवलपर्स ऊँची इमारतें बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे।

पहुंच मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई भी घटाई गई
निर्माण कार्य में आने वाली सबसे बड़ी बाधा पहुंच मार्ग की अनिवार्य चौड़ाई होती थी।
नए संशोधन में इसे व्यावहारिक बनाते हुए कम कर दिया गया है ताकि पुराने और भीड़भाड़ वाले मोहल्लों में भी विकास कार्य सुचारु रह सके।

कृषि भूमि पर भी विस्तृत अनुमति
कृषि भू-उपयोग क्षेत्र में निम्न गतिविधियों की अनुमति दी गई है। 7 मीटर सड़क पर उद्योग एवं हेरिटेज होटल। 9 मीटर सड़क पर बिना शैय्या वाले चिकित्सा प्रतिष्ठान और प्राथमिक विद्यालय। 18 मीटर सड़क पर शॉपिंग मॉल। यह प्रावधान ग्रामीण और परिधीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के विस्तार का रास्ता खोलेगा।

चिकित्सालय, शॉपिंग मॉल और शैक्षिक भवनों के लिए नए मानक
अब चिकित्सालय और शॉपिंग मॉल न्यूनतम 3000 वर्ग मीटर के भूखंड पर बनाए जा सकेंगे। स्कूलों के खेल मैदान और खुले क्षेत्रों के लिए स्पष्ट नियम निर्धारित किए गए हैं।इससे संस्थागत निर्माण में समानता और सुव्यवस्था आएगी।

ग्रुप हाउसिंग और बहु-इकाई निर्माण के मानक आसान
सरकार ने समूह आवास निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भूखंडों के आकार में ढील दी है। ग्रुप हाउसिंग के लिए पहले 2000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की आवश्यकता थी, जिसे घटाकर बिल्टअप क्षेत्र में 1000 वर्ग मीटर। नॉन-बिल्टअप क्षेत्र में 1500 वर्ग मीटर किया गया है। बहु-इकाई भवनों के लिए भूखंड की न्यूनतम आवश्यकता अब 150 वर्ग मीटर कर दी गई है।

पार्किंग मानकों को भी सरल बनाया गया
आदेश में पार्किंग से संबंधित दिशा-निर्देश भी स्पष्ट कर दिए गए हैं, ताकि भविष्य में भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में पार्किंग अव्यवस्था को नियंत्रित किया जा सके।

प्रदेश सरकार के इन संशोधनों को शहरी विकास, निवेश और निर्माण गतिविधियों को गति देने वाला माना जा रहा है। विशेषज्ञ इसे राज्य के शहरों को “अधिक व्यवस्थित”, “निवेश–मैत्रीपूर्ण” और “आधुनिक शहरी ढांचे” की दिशा में बड़े कदम के रूप में देख रहे हैं। नए नियमों से आम नागरिक, डेवलपर्स, संस्थान और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों सहित हर वर्ग को लाभ मिलने की उम्मीद है।

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