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स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों का गबन, अकाउंटेंट और बैंक मैनेजर भाई पर FIR दर्ज

स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों का गबन, अकाउंटेंट और बैंक मैनेजर भाई पर FIR दर्ज

वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है, पुलिस ने अकाउंटेंट और उसके बैंक मैनेजर भाई पर केस दर्ज किया।

वाराणसी में श्रद्धा और आस्था का केंद्र माने जाने वाले स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। ट्रस्ट के सदस्य सुरेंद्र यादव की शिकायत पर चौबेपुर पुलिस ने ट्रस्ट के अकाउंटेंट विवेक कुमार और उसके भाई अभिषेक कुमार, जो एचडीएफसी बैंक में क्रेडिट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं, के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि दोनों भाइयों ने लंबे समय तक श्रद्धालुओं की ओर से दी जाने वाली दानराशि में हेराफेरी की और ट्रस्ट को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

सुरेंद्र यादव, जो स्व. धनराज यादव के पुत्र और स्वर्वेद महामंदिर धाम उमरहा के निवासी हैं, ने अपनी तहरीर में बताया कि विवेक कुमार सितंबर 2019 से ट्रस्ट में अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत था। उसका मुख्य कार्य श्रद्धालुओं से प्राप्त चंदे की राशि को बैंक में जमा कराना था। 23 सितंबर 2025 को विवेक को 20 हजार रुपये ट्रस्ट खाते में जमा करने के लिए भेजा गया था। कुछ समय बाद उसने एचडीएफसी बैंक लहुराबीर शाखा की मुहर और हस्ताक्षरयुक्त जमा पर्ची जमा की। लेकिन जब ट्रस्ट ने बैंक से जांच कराई, तो यह स्पष्ट हुआ कि वह राशि खाते में जमा ही नहीं की गई थी।

इस खुलासे के बाद जब पुराने दस्तावेजों और बैंक रसीदों की जांच की गई, तो सभी रसीदें फर्जी पाई गईं। बैंक अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जिन पर्चियों पर मुहर और हस्ताक्षर दिखाए गए थे, वे नकली थे और उनका बैंक रिकॉर्ड से कोई संबंध नहीं था। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि विवेक का भाई अभिषेक कुमार, जो उसी बैंक में क्रेडिट मैनेजर के पद पर कार्यरत है, इस पूरे गबन कांड में शामिल था। दोनों भाई ट्रस्ट परिसर में ही रहकर दानराशि को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल करते रहे।

एचडीएफसी बैंक के चीफ मैनेजर वैभव त्रिपाठी ने बताया कि दोनों आरोपियों ने बैंक कर्मचारियों को भ्रमित करने और रिश्वत देने की कोशिश भी की थी, जिसके प्रमाण बैंक सर्वर में सुरक्षित हैं। मामला सार्वजनिक होते ही अभिषेक कुमार अचानक अपने आवास से फरार हो गया। जांच में यह भी सामने आया है कि दोनों ने अपने मोबाइल फोन को गूगल के माध्यम से फॉर्मेट कर सबूत मिटाने का प्रयास किया।

ट्रस्ट प्रबंधन की ओर से अब तक की जांच में करोड़ों रुपये की गबन की आशंका जताई गई है। इसके साथ ही ट्रस्ट ने फर्जी बैंक स्लिप, बैंक को भेजे गए पत्र और आरोपियों के पहचान पत्र की प्रतियां पुलिस को सौंप दी हैं। चौबेपुर थाना प्रभारी अजीत कुमार वर्मा ने बताया कि शिकायत के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।

इस पूरे घटनाक्रम ने ट्रस्ट के सदस्यों और श्रद्धालुओं के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है। वर्षों से स्थापित ट्रस्ट की साख पर अब प्रश्नचिह्न लग गया है। पुलिस और ट्रस्ट प्रबंधन इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कहीं इस गबन में और भी लोग शामिल तो नहीं। आने वाले दिनों में जांच के नतीजे तय करेंगे कि यह घोटाला कहां तक फैला है और दोषियों को सजा कब तक मिलती है।

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