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लखनऊ: ऑक्सीजन अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

लखनऊ: ऑक्सीजन अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

लखनऊ के ऑक्सीजन अस्पताल में इलाज के दौरान तीन साल के बच्चे की मौत हो गई, परिजनों ने चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया है, अस्पताल ने इलाज के लिए 50 हजार का इंजेक्शन मांगा था।

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हुई तीन साल के मासूम की दर्दनाक मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला ठाकुरगंज क्षेत्र के खोया मंडी के पास स्थित ऑक्सीजन हॉस्पिटल का है, जहां इलाज के दौरान कथित चिकित्सकीय लापरवाही की वजह से एक मासूम बच्चे की जान चली गई। मृतक बच्चे की पहचान केसरबाग के नजीरा बाग निवासी लतीफ के तीन वर्षीय बेटे जियान के रूप में हुई है।

परिजनों के अनुसार, जियान को गुलियन बेरे सिंड्रोम (GB Syndrome) नामक एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी थी। करीब पांच दिन पहले खेलते समय उसे हल्की-सी चोट लगी थी, जिसके बाद उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई। स्थिति को गंभीर होता देख परिजन उसे शुक्रवार को ऑक्सीजन हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर विनीत ने उसका इलाज शुरू किया। शुरुआत में बच्चे की हालत में कुछ सुधार देखा गया, जिससे परिवार को उम्मीद बंधी कि शायद अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन कुछ ही घंटों बाद जियान की तबीयत अचानक फिर से बिगड़ने लगी।

परिवार वालों का आरोप है कि इलाज के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने 50 हजार रुपये के एक इंजेक्शन की मांग की, जिसे देने की क्षमता परिवार में नहीं थी। काफी बातचीत और मिन्नतों के बाद 4 हजार रुपये की छूट दिलाकर 46 हजार में इंजेक्शन लगाया गया। परिजनों ने यह भी बताया कि बच्चे को राहत देने के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट की सलाह दी गई, लेकिन जब मुंह के जरिए ऑक्सीजन पाइप डाली गई, तभी गंभीर गलती हो गई। परिजनों का कहना है कि पाइप डालने के दौरान बच्चे के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा और कुछ ही देर में उसकी आंखें पलटने लगीं। डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर बताते हुए उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया, लेकिन बच्चे ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया।

परिवार का यह भी आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने रातभर बच्चे को मृत अवस्था में ICU में रखा और सोमवार सुबह ही उसकी मौत की पुष्टि की। इस घटनाक्रम के बाद परिजनों में रोष व्याप्त है और वे चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस पूरे मामले में लखनऊ के डिप्टी सीएमओ डॉ. ए.पी. सिंह ने कहा है कि यह एक अत्यंत गंभीर विषय है। अभी तक इस संबंध में कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन जैसे ही कोई शिकायत मिलती है, पूरे मामले की जांच कराकर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा, जिसके बाद मौत का सही कारण स्पष्ट हो सकेगा।

वहीं दूसरी ओर, ऑक्सीजन हॉस्पिटल के संचालक अमान ने इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बच्चा गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था और उसे जीबी सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारी थी। उन्होंने बताया कि जियान का इलाज डॉ. अयान कर रहे थे और उन्होंने बच्चे को बचाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन उसकी हालत अत्यंत नाजुक थी और इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रशासन ने किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया है।

फिलहाल, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के बाद ही यह तय हो सकेगा कि मासूम की मौत लापरवाही से हुई या यह एक चिकित्सकीय जोखिम का हिस्सा था। मगर यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि निजी अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है। तीन साल का मासूम अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसका सवाल अब भी जीवित है - क्या इलाज के नाम पर भरोसे की कीमत किसी मासूम की जान होनी चाहिए?

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