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उत्तर प्रदेश में संपत्ति मूल्यांकन के नियम बदले, सर्किल रेट अब होंगे एक समान

उत्तर प्रदेश में संपत्ति मूल्यांकन के नियम बदले, सर्किल रेट अब होंगे एक समान

यूपी सरकार ने संपत्ति मूल्यांकन के नियमों में सुधार किया है, अब पूरे प्रदेश में सर्किल रेट एक समान होंगे जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने संपत्ति मूल्यांकन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। राज्य में सर्किल रेट निर्धारण के नियमों में व्यापक सुधार किया गया है, जिसके तहत अब पूरे प्रदेश में सर्किल रेट के लिए एक समान मानक लागू होंगे। नई व्यवस्था से संपत्ति का मूल्यांकन सरल और पारदर्शी हो जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि गलियों में स्थित संपत्तियों पर मुख्य सड़क के रेट के आधार पर स्टांप ड्यूटी नहीं लगेगी, जिससे आम लोगों को राहत मिलेगी।

मंगलवार को स्टांप और पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में सर्किल रेट तय करने की अलग-अलग व्यवस्था थी। वर्ष 2013 में लागू दर सूची में कई विसंगतियां थीं, जिन्हें दूर करने के लिए पूरी प्रक्रिया का सरलीकरण और मानकीकरण किया गया है। इसके तहत एकीकृत दर सूची प्रारूप तैयार किया गया है, जो सभी जिलों में एक समान रूप से लागू होगा। इस व्यवस्था से किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति का मूल्यांकन और स्टांप शुल्क की गणना करना आसान हो जाएगा।

नई नीति के अनुसार, प्रदेश को नगरीय, अर्द्धनगरीय और ग्रामीण श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन तीनों शीर्षकों के अंतर्गत कुल 15 श्रेणियां बनाई गई हैं। सरकार ने विकसित और विकासशील क्षेत्रों के पुराने वर्गीकरण को समाप्त कर दिया है, ताकि मूल्यांकन की प्रक्रिया में समानता और स्पष्टता लाई जा सके। इसके साथ ही कृषक, अकृषक (आवासीय) और वाणिज्यिक भूखण्डों के लिए भी अलग-अलग श्रेणियां निर्धारित की गई हैं, जिससे दरें व्यावहारिक और पारदर्शी हों।

मुख्य सड़कों और उनसे दूर स्थित गलियों के लिए भी स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। अब गली में स्थित भवन या भूखण्ड के लिए मुख्य सड़क के सर्किल रेट के अनुसार स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी। इस बदलाव से खासकर छोटे संपत्ति मालिकों को राहत मिलेगी और संपत्ति लेनदेन में अनावश्यक विवादों की संभावना कम होगी।

मंत्री जायसवाल ने बताया कि नई दर सूची में विभिन्न प्रकार की संपत्तियों जैसे कृषि फार्म, अर्द्ध-वाणिज्यिक, आवासीय वाणिज्यिक, मिश्रित संपत्ति, होटल, अस्पताल, पेट्रोल पंप, सिनेमाहाल, कोचिंग सेंटर और अन्य संस्थानों के लिए अलग-अलग मूल्यांकन दरें तय की गई हैं। भवन निर्माण की आयु के आधार पर भी 20 से 50 प्रतिशत तक छूट की व्यवस्था की गई है। इससे पुरानी इमारतों के मालिकों को लाभ होगा।

उन्होंने आगे कहा कि पेड़ों के मूल्यांकन के लिए भी प्रदेशभर में एक समान मानक लागू किए जाएंगे। वृक्षों की आयु और प्रजाति के आधार पर उनका मूल्य तय किया जाएगा। यदि एक ही आराजी नंबर में कृषक और अकृषक भूमि मौजूद है तो अब उसका मूल्य निर्धारण भी तर्कसंगत तरीके से किया जाएगा। इससे स्टांप ड्यूटी से जुड़े विवादों में कमी आएगी और प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी।

महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा ने बताया कि सभी उप महानिरीक्षक और सहायक महानिरीक्षक निबंधन को नया प्रारूप भेज दिया गया है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे अनिवार्य रूप से इस व्यवस्था को लागू करें और 30 दिनों के भीतर अपना फीडबैक प्रस्तुत करें। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि नई प्रणाली प्रभावी और व्यावहारिक रूप से काम करे।

राज्य सरकार का यह कदम संपत्ति मूल्यांकन प्रणाली में एक ऐतिहासिक सुधार माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस निर्णय से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी, लोगों को अनावश्यक खर्च से राहत मिलेगी और संपत्ति खरीद-फरोख्त से जुड़े कार्य और भी सहज हो जाएंगे।

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