उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के भीतर चल रही सख्त कार्रवाई के तहत तीन डॉक्टरों को लगातार अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं वाराणसी में गर्भवती महिला को अस्पताल परिसर में बच्चे को जन्म देना पड़ा, इस मामले में लापरवाही बरतने वाली नर्स को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा मिर्जापुर में अपर आयुक्त की पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने वाले चार डॉक्टरों पर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। नर्स ट्रांसफर घोटाले में दोषी पाए गए पूर्व निदेशक के पेंशन से कटौती का भी निर्णय लिया गया है।
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने स्पष्ट कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि जो अधिकारी या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हैं या सार्वजनिक सेवाओं में गड़बड़ी करते हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे सेवानिवृत्त ही क्यों न हों।
अपर मुख्य सचिव ने आगरा के शमशाबाद सीएचसी की डॉ. वंदना जैन, श्रावस्ती के संयुक्त जिला चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विपुल अग्रवाल और बाराबंकी के जाटा बरौली सीएचसी के डॉ. देववृत को ड्यूटी से लगातार गैरहाजिर रहने के कारण बर्खास्त कर दिया है। इन तीनों के खिलाफ कई बार चेतावनी और नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन इनके रवैये में कोई सुधार नहीं आया।
वाराणसी के कबीर चौरा जिला महिला चिकित्सालय में अगस्त माह में एक गर्भवती महिला रिजवाना को अस्पताल के अंदर प्रसव करने पर मजबूर होना पड़ा था। परिजन के अनुसार नर्स प्रीतम सिंह ने बिना जांच के ही रेफरल पर्ची थमा दी और एम्बुलेंस या स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं की। जब तक परिजन मदद ढूंढते, महिला ने अस्पताल परिसर में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इस घटना के बाद नर्स को निलंबित कर दिया गया है, जबकि महिला चिकित्साधिकारी डॉ. सुमिता गुप्ता, प्रमुख अधीक्षिका डॉ. नीना वर्मा और अन्य कर्मचारियों पर भी विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
मिर्जापुर में वर्ष 2022 में सीएमओ रहे डॉ. राजीव सिंघल को अनियमित भुगतान और बिलों में गड़बड़ी करने पर दोषी पाया गया। उन पर 4.35 लाख रुपये की वसूली और एक वेतनवृद्धि रोकने की सजा दी गई है। साथ ही उन्हें विभागीय परिनिंदा का दंड भी दिया गया है।
इसी जिले में अपर आयुक्त डॉ. विश्राम सिंह की पत्नी के इलाज में गंभीर लापरवाही सामने आने पर चार डॉक्टरों के खिलाफ जांच शुरू की गई है। इनमें डॉ. विनय कुमार, डॉ. सुनील सिंह, डॉ. तरुण सिंह और डॉ. पंकज पांडेय शामिल हैं। जांच में यह पाया गया कि मरीज की ईसीजी जांच में देरी की गई जिससे उनकी हालत बिगड़ गई। विभाग ने सभी पर अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं, जबकि रिटायर हो चुकी नर्स सुषमा पांडेय पर भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
अयोध्या के कुमारगंज संयुक्त चिकित्सालय में मरीजों को बाहर से दवाएं लिखे जाने और चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस करने के आरोप में डॉ. शीला वर्मा और डॉ. अरविंद मौर्य पर अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। प्रयागराज के राजकीय मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद गुप्ता पर भी प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप साबित हुए हैं। उन्हें तीन वेतनवृद्धियों से वंचित किया गया है और परिनिंदा का दंड भी दिया गया है।
प्रदेश में नर्सों के तबादलों में गड़बड़ी करने वाले तत्कालीन निदेशक चिकित्सा उपचार डॉ. पीएम श्रीवास्तव पर जांच पूरी होने के बाद तीन वर्षों तक पेंशन में 10 प्रतिशत कटौती का आदेश जारी किया गया है।
देवरिया मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राजेश कुमार बरनवाल पर 36 पदों के लिए आउटसोर्सिंग टेंडर न करने और पुराने ठेके बढ़ाने के आरोप में विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं कन्नौज मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रभारी डॉ. दिनेश सिंह मर्तोलिया पर सफाई और अपशिष्ट निपटान के ठेकों में हेराफेरी के आरोप में कार्रवाई की जा रही है।
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि सरकार का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज में लापरवाही करने वालों और भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ जनता को ईमानदारी से मिलना चाहिए और इस दिशा में किसी भी प्रकार की ढिलाई अस्वीकार्य है।
स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई, तीन डॉक्टर बर्खास्त, नर्स निलंबित, जांच के आदेश

यूपी में स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए तीन डॉक्टरों को बर्खास्त किया, एक नर्स निलंबित हुई और चार डॉक्टरों पर जांच के आदेश दिए।
Category: uttar pradesh health department government action
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