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वाराणसी: रामपुर में बर्ड फ्लू केस के बाद प्रशासन हुआ सतर्क, निगरानी तेज

वाराणसी: रामपुर में बर्ड फ्लू केस के बाद प्रशासन हुआ सतर्क, निगरानी तेज

रामपुर में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद वाराणसी प्रशासन सतर्क, कंट्रोल रूम स्थापित कर निगरानी तेज की गई है।

वाराणसी: रामपुर जिले के एक पोल्ट्री फार्म में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) का मामला सामने आने के बाद वाराणसी प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। प्रशासन ने जिले में तुरंत कंट्रोल रूम स्थापित किया है और पशुपालन विभाग को सभी आवश्यक सावधानियां बरतने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि अभी जिले के किसी भी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एहतियात के तौर पर निगरानी तेज कर दी गई है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. आरएस राजपूत ने जानकारी दी कि रामपुर में जिस पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी, वहां के सभी पक्षियों को नष्ट कर दिया गया है ताकि संक्रमण का खतरा फैल न सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में वाराणसी या आसपास के किसी भी फार्म पर इस बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है। इसके बावजूद विभाग की टीमों को निर्देशित किया गया है कि वे लगातार निगरानी रखें और छोटे से छोटे लक्षणों को भी गंभीरता से लें।

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सतर्कता बढ़ाने और फार्म संचालकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए। बैठक में तय हुआ कि जिले में स्थित सभी पोल्ट्री फार्मों का निरीक्षण किया जाएगा। इसके तहत पशुपालन विभाग की टीमें अलग-अलग फार्मों पर जाकर मुर्गियों के स्वैब और सीरम के नमूने एकत्र कर रही हैं, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है।

सीवीओ डॉ. राजपूत ने कहा कि पोल्ट्री फार्म संचालकों को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सतर्क रहना ही सबसे जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर किसी भी फार्म में अचानक बड़ी संख्या में मुर्गियों की मृत्यु हो जाए, या फिर मुर्गियां सुस्त और कम सक्रिय दिखाई दें, तो तत्काल पशुपालन विभाग के कंट्रोल रूम को सूचना दें। मृत मुर्गियों को किसी भी परिस्थिति में छूने या इधर-उधर फेंकने से बचने की सलाह दी गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, बर्ड फ्लू से प्रभावित मुर्गियों में अक्सर श्वसन संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जैसे खांसी, छींकना और सांस लेने में कठिनाई। वहीं, लेयर मुर्गियों में अंडे उत्पादन की दर में गिरावट आती है। इसके अलावा पक्षियों के शरीर पर सूजन या घाव दिखाई दे सकते हैं और उनकी आंखों या नाक से तरल पदार्थ निकल सकता है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर फार्म में तुरंत स्वच्छता बढ़ाने और विभाग को सूचना देने की आवश्यकता है।

प्रशासन का कहना है कि आम जनता को इस मामले में घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बीमारी फिलहाल नियंत्रित दायरे में है। फिर भी जागरूकता और सतर्कता से ही इसे फैलने से रोका जा सकता है। विभाग ने फार्म संचालकों और आम नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में सीधे पशुपालन विभाग से संपर्क करें।

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