पौराणिक नगरी वाराणसी ने हाल के वर्षों में केवल आध्यात्मिकता ही नहीं बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक नया मुकाम हासिल किया है। बीते दस वर्षों में शहर में लगभग 2800 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य सेवाएं स्थापित हुई हैं। इसके साथ ही करीब 48 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इनमें से 37 हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं जबकि 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं फिलहाल निर्माणाधीन हैं।
वाराणसी अब शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। समर्थ उत्तर प्रदेश विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047 अभियान के तहत काशी में 2017 से 2025 तक शिक्षा की प्रगति और 2025 से 2047 तक की विजन रिपोर्ट तैयार करने की योजना बनाई गई है। इस पहल के अंतर्गत उच्च शिक्षा के साथ साथ जनपद की बेसिक और माध्यमिक शिक्षा पर भी विस्तृत चर्चा होगी। रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा विभाग को दी गई है। इसी संदर्भ में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पूजा सिंह और राजकीय महाविद्यालय बभनी सोनभद्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमूल्य पांडेय ने पीएम श्री राजकीय क्वींस इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सुमीत कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात की और जिले की शिक्षा व्यवस्था पर विचार किया।
डॉ पूजा सिंह ने बताया कि 2017 से 2025 तक शिक्षा क्षेत्र में हुए कार्यों का आकलन किया जा रहा है और 2025 से 2047 तक का विजन प्लान भी तैयार होगा। इसमें नए संस्थान, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और स्कूलों के विस्तार की रिपोर्ट शामिल होगी। इसके लिए 12 और 13 सितंबर को आईआईटी बीएचयू के एबीएलटी सभागार और सर्किट हाउस में मंथन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
जनपद में वर्तमान समय में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत चार विश्वविद्यालय संचालित हैं जिनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान शामिल हैं। इसके अलावा जिले में पांच राजकीय महाविद्यालय, आठ सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय और 117 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय भी चल रहे हैं। इन संस्थानों में लगभग एक लाख दस हजार छात्र और छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही 31 राजकीय माध्यमिक विद्यालय, 106 एडेड विद्यालय, 257 वित्तविहीन विद्यालय और 168 सीबीएसई विद्यालय संचालित हो रहे हैं।
गुणवत्ता सुधार की दिशा में भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिले के कई महाविद्यालय और विश्वविद्यालय राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद यानी नैक की रैंकिंग में ए और बी ग्रेड हासिल कर चुके हैं। बीएचयू, डीएवी कॉलेज और सनबीम कॉलेज जैसी संस्थाओं ने उच्च ग्रेड प्राप्त किया है जबकि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है।
आधुनिकीकरण के तहत स्मार्ट क्लास, ई लाइब्रेरी, ई लर्निंग पार्क और वाई फाई की सुविधाएं दी गई हैं। छात्र छात्राओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने के लिए प्री लोडेड टैबलेट और स्मार्ट फोन प्रदान किए गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को लागू करने के लिए च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम तथा रोजगारपरक पाठ्यक्रमों को अपनाया गया है। इसके साथ ही कौशल विकास और स्टार्टअप से जुड़ाव के अवसर भी युवाओं को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
जनपद के कई महाविद्यालयों में नए भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय बालिका महाविद्यालय, राजकीय महिला महाविद्यालय और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महाविद्यालय में नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं। सरदार बल्लभ भाई पटेल राजकीय महाविद्यालय का निर्माण भी पूरा हुआ है और यहां आगामी शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई शुरू होगी।
इसके साथ ही जिला प्रशासन के सहयोग से काशी सांसद इवेंट्स का आयोजन भी हो रहा है जिसमें खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां और शिक्षा संबंधित प्रतियोगिताएं शामिल हैं। इन आयोजनों से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और नए अवसर पाने का मौका मिल रहा है।
इस तरह वाराणसी न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान को संजोए हुए है बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभर रहा है। आने वाले वर्षों में यह प्रगति और भी गति पकड़ने वाली है और काशी देश के शैक्षणिक और स्वास्थ्य मानचित्र पर और मजबूत स्थिति हासिल करेगी।
काशी की पहचान में जुड़ा नया अध्याय शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं में ऐतिहासिक विस्तार

दशकों में वाराणसी शिक्षा व स्वास्थ्य का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा, 48 हजार करोड़ की परियोजनाएं हुईं स्वीकृत।
Category: uttar pradesh varanasi development
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