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वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक में बेमौसम बारिश, सैकड़ों किसानों की धान फसल बर्बाद

वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक में बेमौसम बारिश, सैकड़ों किसानों की धान फसल बर्बाद

वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक में बेमौसम बारिश से किसानों की धान की फसलें डूबकर सड़ गईं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

वाराणसी जिले के चिरईगांव ब्लॉक में बीते कुछ दिनों से हो रही लगातार भारी और बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कटाई के लिए तैयार धान की फसलें खेतों में ही पानी में डूबकर सड़ने लगी हैं, जिससे सैकड़ों किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बारिश का असर ब्लॉक की लगभग 76 ग्राम सभाओं में देखने को मिला है, जहां खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।

ग्राम सभा तरयां के ग्राम प्रधान संजय जैसवार ने अपनी खुद की डूबी हुई फसल देखकर गहरी चिंता जताई और बताया कि यह समस्या केवल उनके गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे चिरईगांव ब्लॉक की है। उन्होंने कहा कि लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भरा हुआ है, जिससे कटाई असंभव हो गई है। कई जगहों पर धान की बालियां सड़ चुकी हैं और फसल अब उपयोग लायक नहीं बची है। किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों डूब गई हैं।

तरयां, पियरी, रमगढ़वां, उमरहां, तोहफापुर, बराई, छाही, डुबकिया, बरबसपुर, बरियासनपुर, चिरईगांव, संदहा, रुस्तमपुर, बीकापुर और मुड़ली जैसे गांवों में स्थिति बेहद खराब है। खेतों में धान की फसलें पूरी तरह झुककर पानी में समा गई हैं। किसानों का कहना है कि फसल की कटाई के समय पर आई इस बारिश ने उनकी छह महीने की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है। कई किसानों ने खेती के लिए उधार लिया था, अब वे कर्ज चुकाने को लेकर चिंतित हैं।

ग्राम प्रधान संजय जैसवार ने शासन और प्रशासन से तत्काल सर्वे कराकर नुकसान का सही आकलन करने और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है और यदि जल्द राहत नहीं मिली तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। किसानों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि राहत टीमों को गांवों में भेजकर नुकसान का मूल्यांकन कराया जाए और आर्थिक सहायता तुरंत दी जाए।

स्थानीय किसानों का कहना है कि मौसम विभाग ने पहले से चेतावनी नहीं दी थी, जिसके कारण वे समय रहते फसल की कटाई नहीं कर पाए। अब खेतों में पानी भरने के कारण नई फसल की बुवाई भी विलंबित हो सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को ऐसी परिस्थितियों में किसानों की सहायता के लिए आपात व्यवस्था बनानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की स्थितियों में नुकसान को कम किया जा सके।

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