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भगवान राम पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी के खिलाफ वाराणसी अदालत का फैसला

भगवान राम पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी के खिलाफ वाराणसी अदालत का फैसला

वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ भगवान राम को काल्पनिक बताने वाली टिप्पणी पर FIR की अर्जी खारिज की, स्पीकर की मंजूरी नहीं थी।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने अमेरिका में राहुल गांधी द्वारा की गई भगवान राम काल्पनिक है जैसी टिप्पणी के मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली शिकायत को खारिज कर दिया। यह जानकारी मंगलवार को अधिवक्ता हरिशंकर पांडे द्वारा साझा की गई।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार त्रिपाठी ने मामले में कहा कि रायबरेली से सांसद गांधी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से पूर्व मंजूरी न मिलने के कारण यह शिकायत विचारणीय नहीं है।

शिकायतकर्ता हरिशंकर पांडे ने अदालत से अनुरोध किया था कि राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए क्योंकि उन्होंने 21 अप्रैल को बोस्टन स्थित ब्राउन विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भगवान राम को 'पौराणिक और काल्पनिक चरित्र' बताया था। पांडे ने दावा किया कि यह टिप्पणी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक विवाद पैदा करने का जानबूझकर किया गया प्रयास था।

पांडे ने अपनी याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के तहत कार्रवाई की मांग की थी, जो धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित है। इसके साथ ही उन्होंने बीएनएस की धारा 351 और 353 के तहत भी कार्रवाई की अपील की थी, जो क्रमशः आपराधिक धमकी और सार्वजनिक उत्पात से संबंधित हैं।

अदालत ने टिप्पणी को मानते हुए कहा कि हालांकि यह टिप्पणियां की गई थीं, लेकिन विचारणीयता के आधार पर शिकायत को खारिज किया गया। पांडे ने बताया कि वे लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी लेने के बाद पुनरीक्षण याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं।

पांडे ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति को भी प्रतिवादी के रूप में नामित किया था। अदालत ने पहले उनकी शिकायत स्वीकार की थी और 19 मई को सुनवाई करने का निर्णय लिया था। इस मामले में उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय को भी नोटिस भेजा गया था।

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