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वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण पर हजारों व्यापारियों में आक्रोश, रोजी-रोटी पर संकट

वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण पर हजारों व्यापारियों में आक्रोश, रोजी-रोटी पर संकट

वाराणसी की ऐतिहासिक दालमंडी में चौड़ीकरण योजना से हजारों व्यापारी चिंतित हैं, उनका कहना है कि इससे उनकी रोजी-रोटी खतरे में है और उन्हें पुनर्वास चाहिए।

वाराणसी की ऐतिहासिक और भीड़भाड़ वाली दालमंडी गली इन दिनों चौड़ीकरण को लेकर चर्चा में है। यहां के हजारों व्यापारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। दालमंडी के दुकानदारों का कहना है कि चौड़ीकरण की इस योजना से उनका जीवन और रोजी-रोटी दोनों खतरे में हैं। कई दुकानदारों ने बताया कि यह सिर्फ एक सड़क नहीं बल्कि उनकी पीढ़ियों की मेहनत और सपनों की पहचान है। स्थानीय दुकानदार अजीजुर्रहमान, जिनकी दुकान पिछले 90 सालों से चली आ रही है, ने भावुक होकर कहा कि “यह हमें जिंदा मारने की साजिश है, हमारी उम्र 64 साल हो गई है, अब हम कहां जाएंगे और परिवार कैसे चलाएंगे?” उन्होंने बताया कि वे किरायेदार हैं, जबकि मुआवजा मकान मालिकों को मिलेगा, ऐसे में उनका भविष्य अधर में है।

दालमंडी में लगभग 1500 दुकानदार हैं, जो इस चौड़ीकरण परियोजना से प्रभावित होंगे। कई व्यापारियों का कहना है कि अगर उन्हें यहां से हटाया जाता है, तो सरकार को कहीं और पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए या फिर उनके परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। दुकानदारों ने बताया कि इस बार दीपावली का बाजार दालमंडी का आखिरी बाजार साबित हुआ। अफवाहों के चलते व्यापार पहले से ही 70 प्रतिशत तक घट चुका है। मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाने वाले मधु अरोड़ा ने कहा कि चौड़ीकरण की खबरों और बुलडोजर की अफवाहों से ग्राहक आना बंद कर चुके हैं। कई लोग तो यह पूछते हैं कि क्या दालमंडी में बुलडोजर चल गया, जिससे बाहरी ग्राहकों की संख्या कम हो गई है।

वहीं, चूड़ी और कॉस्मेटिक की दुकानों के मालिकों ने बताया कि पुलिस की लगातार गश्त और सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों से माहौल भयभीत बना हुआ है। दुकानदारों का कहना है कि दालमंडी पूर्वांचल की सबसे सस्ती मंडी है, जहां पूरे प्रदेश से ग्राहक सस्ता सामान खरीदने आते हैं, लेकिन चौड़ीकरण के बाद यही सामान महंगे दामों पर बिकेगा। मोहम्मद इमरान ने कहा कि उनकी रेडीमेड की दुकान पर इस बार दीपावली की बिक्री आधी से भी कम रही। वहीं मोहसिन, जो कॉस्मेटिक का कारोबार करते हैं, ने बताया कि महिलाएं अब बाजार में आने से डर रही हैं, जिससे बिक्री 30 प्रतिशत तक गिर गई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो कई व्यापारी आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे।

सरकारी अधिकारियों की मानें तो दालमंडी के पुनर्निर्माण से शहर की यह सड़क काशी की सबसे आधुनिक और सुंदर सड़कों में से एक बनेगी। सड़कों के दोनों ओर अंडरग्राउंड बिजली के तार, गैस पाइप लाइन और सीवर सिस्टम होगा, जबकि सड़क के किनारे 3.2 मीटर चौड़ा फुटपाथ बनाया जाएगा। सारा इलाका वायर-फ्री जोन में तब्दील किया जाएगा और हेरिटेज लाइटों से सजाया जाएगा। एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि 187 मकानों के मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और सभी को बाजार दर से दोगुना मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों और मस्जिदों के संबंध में भी बातचीत चल रही है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि परियोजना का स्वरूप चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, इसका बोझ उन लोगों पर पड़ रहा है जिन्होंने दशकों से इस बाजार को जीवित रखा है। अब सबकी निगाहें प्रशासन के अगले फैसले पर टिकी हैं कि क्या दालमंडी के इन हजारों व्यापारियों के जीवन में कोई नई उम्मीद बचेगी या नहीं।

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