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चांदी की बढ़ती कीमतों ने वाराणसी के सर्राफा बाजार की चिंता बढ़ाई, ग्राहकी घटी

चांदी की बढ़ती कीमतों ने वाराणसी के सर्राफा बाजार की चिंता बढ़ाई, ग्राहकी घटी

वाराणसी में चांदी की कीमतें 80 हजार से 2 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के करीब पहुंचीं, जिससे सर्राफा बाजार में ग्राहकी ठप है।

सोने के बाद अब चांदी की लगातार बढ़ती कीमतों ने बनारस के सर्राफा बाजार की चिंता और गहरा दी है। कभी काशी की महिलाओं की पहचान मानी जाने वाली रेशमी पाजेब, पायल और बिछिया की मधुर झंकार अब बाजारों में सुनाई देना मुश्किल हो गया है। गोदौलिया, चौक, विश्वेश्वरगंज और नदेसर जैसे प्रमुख सर्राफा क्षेत्रों में ग्राहकों की आवाजाही में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। हालात यह हैं कि दिनभर चहल पहल से भरे रहने वाले इन बाजारों में अब सन्नाटा पसरा हुआ है और दुकानदार ग्राहक की राह देखते नजर आ रहे हैं।

आंकड़े बताते हैं कि जनवरी महीने में चांदी की कीमत जहां करीब 80 से 90 हजार रुपये प्रति किलोग्राम थी, वहीं बीते पंद्रह दिनों में इसमें तेज उछाल आया। कुछ दिन पहले तक यह दर 1.75 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी थी। शुक्रवार को चांदी 1.95 लाख रुपये और शनिवार को 1.98 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर जा पहुंची। पिछले वर्ष इसी अवधि में चांदी की कीमत लगभग 75.5 हजार रुपये प्रति किलोग्राम थी। इस तेज बढ़ोतरी ने चांदी को आम उपभोक्ता की पहुंच से लगभग बाहर कर दिया है।

सर्राफा व्यापारी गोकुल सराफ का कहना है कि महंगाई का सबसे अधिक असर मध्यम और निम्न आय वर्ग पर पड़ा है। पहले सोने के दाम बढ़े और अब चांदी भी उसी रास्ते पर चल पड़ी है। महिलाएं पाजेब, पायल और बिछिया जैसे पारंपरिक गहनों की खरीद से बचने लगी हैं। मजबूरी में ग्राहक आर्टिफिशियल ज्वेलरी या पीतल और अन्य धातुओं से बने विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे पारंपरिक चांदी के गहनों की मांग लगातार घट रही है।

गोदौलिया के सर्राफ अनिकेश गुप्ता और नदेसर के व्यापारी रवि वर्मा बताते हैं कि दामों में स्थिरता न होने से न ग्राहक खरीदारी का निर्णय ले पा रहे हैं और न ही व्यापारी सहज रूप से कारोबार कर पा रहे हैं। दिन में दो से तीन बार कीमतों में बदलाव होने से बाजार की गति लगभग थम सी गई है। चांदी महंगी होने का असर कारीगरों पर भी साफ दिख रहा है, क्योंकि ऑर्डर घटने से उनका काम प्रभावित हो रहा है।

ग्राहकों की पसंद में भी बदलाव साफ नजर आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि अब भारी और पारंपरिक आभूषणों की जगह हल्के और डिजाइनदार गहनों को प्राथमिकता दी जा रही है। आरती चौहान के अनुसार बढ़ती कीमतों के कारण उन्हें अपनी पसंद बदलनी पड़ रही है, जबकि श्वेता पाठक का कहना है कि महंगाई के चलते त्योहारों और शादी विवाह के अवसरों पर आभूषण खरीदना दिन प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है। कुल मिलाकर चांदी की तेज कीमतों ने काशी के सर्राफा बाजार में परंपरा, उपभोक्ता की पसंद और कारोबार तीनों पर गहरा असर डाला है।

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