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वाराणसी: देव दीपावली पर 25 लाख दीपों से जगमगाए गंगा के घाट, सीएम योगी हुए शामिल

वाराणसी: देव दीपावली पर 25 लाख दीपों से जगमगाए गंगा के घाट, सीएम योगी हुए शामिल

वाराणसी में देव दीपावली पर गंगा के 84 घाटों पर 25 लाख दीपों से अद्भुत छटा बिखरी, सीएम योगी ने अवलोकन किया।

वाराणसी: देव दीपावली के पावन अवसर पर काशी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह शहर न केवल मोक्ष की नगरी है, बल्कि आस्था, संस्कृति और भव्यता का अनोखा संगम भी है। सोमवार की शाम गंगा के 84 घाटों पर करीब 25 लाख दीपों की रौशनी ने ऐसा दृश्य बनाया कि पूरा शहर स्वर्गिक आभा से नहा उठा। जैसे ही सूर्य अस्त हुआ, गंगा की लहरों पर दीपों की झिलमिलाहट और घाटों पर की गई सजावट ने एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस दिव्य आयोजन का अवलोकन किया। वे क्रूज से गंगा यात्रा करते हुए दशाश्वमेध घाट पहुंचे, जहां उन्होंने लेजर शो और गंगा आरती का दर्शन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी की देव दीपावली अब वैश्विक पहचान बन चुकी है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक शक्ति और काशी की अनंत परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने घाटों की सजावट और व्यवस्था की सराहना करते हुए प्रशासन और स्थानीय लोगों के प्रयासों की प्रशंसा की।

दशाश्वमेध घाट पर इस बार की गंगा आरती अद्भुत रही। दीपों की सुनहरी आभा, मंत्रोच्चार की ध्वनि और गंगा की लहरों के संग समवेत स्वर में गूंजते हर हर महादेव के जयघोष ने वातावरण को पूर्णतः आध्यात्मिक बना दिया। घाटों पर दीप जलाने में हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया। श्रद्धालुओं ने दीपदान कर भगवान शिव और मां गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।

अस्सी घाट पर इस वर्ष विशेष आकर्षण रहा दीपों से बना विशाल हर हर महादेव का प्रतीक चिन्ह, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। वहीं केदार घाट से तैरते दीपों का दृश्य मानो किसी कलाकार की जीवंत पेंटिंग जैसा प्रतीत हो रहा था। गंगा के दोनों किनारों पर दीपों की पंक्तियां, ऊपर आसमान में चमकते आतिशबाजी के रंग और संगीत की गूंज ने पूरे वाराणसी को आस्था के रंग में रंग दिया।

लेजर शो में गंगा की महिमा, शिव की नगरी काशी का इतिहास और भारतीय संस्कृति की गौरवगाथा को रोशनी और ध्वनि के संगम से दिखाया गया। मुख्यमंत्री योगी ने शो का अवलोकन करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि यह पूरी दुनिया को भारत की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का माध्यम भी बन रहा है।

देव दीपावली के अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। घाटों पर एनडीआरएफ, पुलिस बल और स्वयंसेवी संगठनों की टीमें तैनात रहीं ताकि भीड़ नियंत्रण और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की जा सके। शहर के प्रमुख चौराहों, सड़कों और मंदिरों को झालरों और फूलों से सजाया गया था।

विदेशी पर्यटकों की भी इस आयोजन में खास रुचि देखी गई। गंगा आरती और दीपदान का यह दृश्य हर आगंतुक के लिए अविस्मरणीय अनुभव बन गया। जैसे-जैसे रात गहराती गई, गंगा तटों पर दीपों की चमक और भी बढ़ती गई, मानो काशी खुद दिव्यता में डूबी हो।

देव दीपावली का यह उत्सव न केवल गंगा की महिमा का प्रतीक है, बल्कि यह बताता है कि काशी की आत्मा अब भी उसी श्रद्धा और आलोक से प्रज्ज्वलित है, जिसने सदियों से भारत की संस्कृति को दिशा दी है।

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