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वाराणसी में हेल्थ एटीएम शोपीस बने, मरीजों को नहीं मिल रहा जांच का लाभ

वाराणसी में हेल्थ एटीएम शोपीस बने, मरीजों को नहीं मिल रहा जांच का लाभ

वाराणसी में जनता की स्वास्थ्य सेवा के लिए लगे हेल्थ एटीएम अब निष्क्रिय, किट और ऑपरेटर की कमी से मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ।

वाराणसी: जनता की स्वास्थ्य सेवा के लिए स्थापित हेल्थ एटीएम अब जिले में कई स्थानों पर अपनी मूल भूमिका निभाने में असफल साबित हो रहे हैं। मेडिकल जांच और सुविधाओं के लिए सीएचसी, पीएचसी और विकास भवन सहित अन्य सरकारी कार्यालयों में लगाए गए हेल्थ एटीएम या तो पूरी तरह गायब हैं या केवल शोपीस के रूप में मौजूद हैं। मरीजों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लगाए गए इन उपकरणों में न तो आवश्यक किट उपलब्ध कराई जा रही है और न ही ऑपरेटर की व्यवस्था की जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग की हाल की जांच में सामने आया कि यलो कंपनी के 14 हेल्थ एटीएम में उपकरण, किट और रीजेंट उपलब्ध नहीं हैं। मंडलीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में स्थापित दो मशीनों में से एक भी अब अनुपलब्ध है। पं. दीनदयाल उपाध्याय महिला और पुरुष अस्पताल में मौजूद एक-एक हेल्थ एटीएम भी बिना किट और रीजेंट के सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में दिखाई दे रही है। इस कारण मरीजों को 45 से अधिक आवश्यक जांच कराने में असुविधा हो रही है। शिवपुर सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके यादव के अनुसार, फिलहाल केवल ब्लड प्रेशर, शुगर, तापमान, ईसीजी, एचबी, यूरिन, ईयर, स्किन, हाइट और वजन जैसी कुछ बुनियादी जांच ही की जा सकती हैं।

कुछ चिकित्सालयों में हेल्थ एटीएम कबाड़ की तरह धूल में दबे हैं और उनका संचालन ठप है। नोडल अधिकारी डॉ अमित सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। जिले में कुल 27 हेल्थ एटीएम स्थापित की गई थीं, जिनमें खर्च लगभग 1.66 करोड़ रुपये आया। इनमें से कुछ सीएसआर फंड से, कुछ विधायक निधि और कुछ लखनऊ से उपलब्ध कराए गए थे।

स्थापना के समय इन हेल्थ एटीएम का भव्य उद्घाटन किया गया था। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इसे मरीजों के लिए सुविधाजनक बताया था। प्रारंभिक महीनों में कुछ एटीएम दो-तीन माह तक, जबकि कुछ एक डेढ़ साल तक ही काम कर पाईं। उसके बाद तकनीकी खराबियों का हवाला देकर इन्हें बंद कर दिया गया।

इन हेल्थ मशीनों के संचालन के दौरान मरीजों को कुल 59 प्रकार की जांच जैसे रक्तचाप, शुगर, एलएफटी, केएफटी, ईसीजी, ब्लड ग्रुप और सीबीसी जैसी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती थीं। अब इन सुविधाओं के ठप होने से मरीजों और स्वास्थ्य सेवा में आने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द सुधार नहीं किया गया तो जिले में स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और मरीजों को समय पर इलाज और जांच नहीं मिल पाएगा।

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