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वाराणसी: ड्रग सिंडिकेट पर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, मास्टरमाइंड पर LOC जारी, अब बाबा के बुलडोजर की बारी

वाराणसी: ड्रग सिंडिकेट पर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, मास्टरमाइंड पर LOC जारी, अब बाबा के बुलडोजर की बारी

वाराणसी पुलिस ने 2000 करोड़ के ड्रग सिंडिकेट के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल और उसके तीन साथियों पर लुकआउट सर्कुलर जारी किया।

वाराणसी: नशीली दवाओं के अवैध कारोबार और युवाओं की रगों में जहर घोलने वाले एक बड़े सिंडिकेट के खिलाफ वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। कोडीन युक्त कफ सिरप की तस्करी के जरिए 2000 करोड़ रुपये का अवैध साम्राज्य खड़ा करने वाले मास्टरमाइंड और 50 हजार के इनामी शुभम जायसवाल समेत उसके गिरोह के तीन अन्य प्रमुख सदस्यों आकाश पाठक, दिवेश जायसवाल और अमित जायसवाल के खिलाफ सोमवार को 'लुकआउट सर्कुलर' (LOC) जारी कर दिया गया। पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) और एसआईटी प्रमुख गौरव बंशवाल ने पुष्टि की है कि इन शातिर अपराधियों के विदेश भागने की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया गया है। एनडीपीएस (NDPS) एक्ट, वित्तीय धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत वांछित इन आरोपियों की गिरफ्तारी अब केवल समय की बात मानी जा रही है।

साये की तरह साथ रहने वाली ‘चौकड़ी’ और अपराध का कॉरपोरेट मॉडल
पुलिस की जांच में इस सिंडिकेट के काम करने का जो तरीका (Modus Operandi) सामने आया है, उसने जांच एजेंसियों को भी चौंका दिया है। इस पूरे खेल का ‘सुपर बॉस’ आदमपुर के प्रहलाद घाट (कायस्थ टोला) का मूल निवासी शुभम जायसवाल है, जो रांची की फर्म 'शैली ट्रेडर्स' का कर्ताधर्ता था। लेकिन, इस काले कारोबार को चलाने के लिए उसे भरोसेमंद प्यादों की जरूरत थी, जिसे पूरा किया उसके बचपन के दोस्तों और करीबियों ने। जांच में सामने आया है कि गोलघर, मैदागिन का रहने वाला आकाश पाठक शुभम का सबसे बड़ा 'राजदार' है, जो बैंकिंग और पैसों के लेनदेन का पूरा हिसाब रखता था। वहीं, सोनिया (काजीपुरा खुर्द) का निवासी अमित जायसवाल और डीएसए फार्मा का प्रोपराइटर दिवेश जायसवाल इस गिरोह के ‘ऑपरेशंस हेड’ की तरह काम करते थे। ये तीनों साये की तरह शुभम के साथ रहते थे और तस्करी के नेटवर्क में इनकी भूमिकाएं पहले से तय थीं।

बोगस फर्मों का मायाजाल: युवाओं के नाम पर खोले खाते, करोड़ों का खेल
एसआईटी की तफ्तीश में आर्थिक अपराध की एक गहरी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। दिवेश और अमित जायसवाल का मुख्य काम शहर के बेरोजगार नवयुवकों को फंसाना था। ये शातिर अपराधी भोले-भाले युवकों के आधार कार्ड और पैन कार्ड का उपयोग कर उनके नाम पर फर्जी (बोगस) फर्म रजिस्टर करवाते थे और बैंक खाते खुलवाते थे। इसके एवज में उन युवकों को हर महीने 40 से 50 हजार रुपये का लालच दिया जाता था, जबकि उन खातों का पूरा नियंत्रण दिवेश और अमित अपने पास रखते थे। इन्हीं फर्जी फर्मों के जरिए ई-वे बिल जनरेट किए जाते थे और तस्करी की काली कमाई को 'व्हाइट' करने की कोशिश की जाती थी। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि तस्करी से अर्जित धन को इन्हीं संपत्तियों और फर्जी कारोबार के जरिए खपाया गया है।

दुबई में छिपा है सरगना, प्रत्यर्पण संधि बनेगी गिरफ्तारी का हथियार
खुफिया सूत्रों और एसआईटी की जांच में यह पुख्ता हो गया है कि कानून के लंबे हाथों से बचने के लिए सिंडिकेट का सरगना शुभम जायसवाल इस समय दुबई में छिपा हुआ है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का मानना है कि उसकी यह चालाकी अब उसी पर भारी पड़ने वाली है। चूंकि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) लागू है, इसलिए शुभम के लिए वहां से किसी तीसरे देश भागना लगभग नामुमकिन है। पुलिस ने 'ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन' के जरिए कानूनी प्रक्रिया तेज कर दी है ताकि उसे जल्द से जल्द भारत लाकर कानून के कटघरे में खड़ा किया जा सके। लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद देश के सभी हवाई अड्डों और एग्जिट पॉइंट्स पर अलर्ट जारी कर दिया गया है।

40 करोड़ की संपत्ति चिन्हित: कभी भी गरज सकता है ‘बाबा का बुलडोजर’
योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत अब तस्करों की आर्थिक कमर तोड़ने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। जांच में पता चला है कि इस सिंडिकेट ने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश तक नशीली दवाओं की सप्लाई चेन बना रखी थी। इस अवैध धंधे से शुभम जायसवाल और उसके परिवार ने अकूत संपत्ति अर्जित की है। एसआईटी ने अब तक करीब 40 करोड़ रुपये की ऐसी संपत्तियों को चिन्हित कर लिया है, जो तस्करी के पैसे से खरीदी गई थीं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो प्रशासन इन अवैध निर्माणों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई कभी भी शुरू कर सकता है। प्रशासन ने साफ संदेश दिया है कि जहर के सौदागरों द्वारा खड़ी की गई हर ईंट को कानून की ताकत से ढहा दिया जाएगा।

सहयोगियों पर भी दबिश: पिता-पुत्र और अन्य मददगार रडार पर
सिंडिकेट की जड़ें खोदने के लिए एसआईटी ने शुभम के अलावा उसके मददगारों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विशेश्वरगंज के औसानगंज निवासी मेसर्स सिंडिकेट के प्रोपराइटर मनोज यादव और उसके बेटे लक्ष्य यादव के सूजाबाद स्थित गोदाम से पूर्व में 60 लाख रुपये का कफ सिरप बरामद हुआ था, जिसके बाद से एजेंसियां इनके करीबियों से लगातार पूछताछ कर रही हैं। इसके अलावा सूजाबाद के राहुल यादव, खोजवा के घनश्याम, अंकुश सिंह और रोहनिया का 25 हजार का इनामी महेश सिंह भी पुलिस के रडार पर हैं। ड्रग विभाग के साथ मिलकर पुलिस इन सभी के पुराने रिकॉर्ड और वित्तीय लेनदेन को खंगाल रही है ताकि कोर्ट में इनके खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए जा सकें।

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