वाराणसी: शहर में अवैध रूप से संचालित हो रहे निजी चिकित्सा प्रतिष्ठानों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जनस्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिले में चल रहे सभी निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी केंद्रों की व्यापक जांच की जा रही है। इस अभियान के तहत अब तक 907 चिकित्सा प्रतिष्ठानों का पंजीकरण और नवीनीकरण पूरा किया जा चुका है, जबकि 52 गैर-पंजीकृत और मानकों का पालन न करने वाले प्रतिष्ठानों को बंद करा दिया गया है।
डॉ. चौधरी ने बताया कि पंजीकरण नवीनीकरण के लिए प्राप्त सभी आवेदनों की गहन जांच और स्थलीय निरीक्षण के बाद ही स्वीकृति दी गई है। जिन चिकित्सा इकाइयों को निरीक्षण के दौरान निर्धारित मानकों के अनुरूप पाया गया, उन्हें नवीनीकरण की अनुमति प्रदान की गई है। वहीं, जिनकी सुविधाएं अपर्याप्त पाई गईं या जिन्होंने समय पर नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया, उन्हें चेतावनी जारी कर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पुनः आवेदन करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि निरीक्षण में संतुष्टि के बाद ही उन्हें पुनः पंजीकृत किया जाएगा।
सीएमओ ने यह भी जानकारी दी कि पहले रिजेक्ट की गई 109 चिकित्सा इकाइयों में से 52 पर कार्रवाई कर उन्हें सील कर दिया गया है, जबकि शेष के विरुद्ध प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। विभाग की टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी स्थिति में बिना पंजीकरण के कोई चिकित्सा इकाई संचालित न हो, और यदि ऐसा पाया जाता है तो तत्काल सीलिंग और कानूनी कार्रवाई की जाए।
शासन के ताजा निर्देशों के तहत, अब सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानों को अपने परिसर के बाहर 5x3 फीट का पीले रंग का डिस्प्ले बोर्ड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस बोर्ड पर काले अक्षरों में अस्पताल या क्लीनिक का नाम, पंजीकरण संख्या, दी जाने वाली चिकित्सा सेवाओं का विवरण और शिकायत अथवा संपर्क के लिए दूरभाष संख्या स्पष्ट रूप से अंकित करनी होगी। इस पहल का उद्देश्य मरीजों और उनके परिजनों को पारदर्शिता और सुरक्षा की भावना प्रदान करना है, ताकि वे आसानी से यह जान सकें कि जिस संस्था से वे इलाज करा रहे हैं, वह अधिकृत और पंजीकृत है या नहीं।
जनता से अपील करते हुए डॉ. चौधरी ने कहा, “मरीज और उनके परिजन केवल पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों से ही उपचार कराएं। इलाज शुरू करने से पहले अस्पताल या क्लीनिक का पंजीकरण प्रमाणपत्र अवश्य देखें। यदि किसी को बिना पंजीकरण वाला कोई अस्पताल, पैथोलॉजी या क्लीनिक संचालित होता दिखाई दे, तो उसकी जानकारी तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी के कार्यालय को दें, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि विभाग का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बनाए रखना है। ऐसे प्रतिष्ठान जो सही दस्तावेज़ों और संसाधनों के साथ कार्य कर रहे हैं, उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। वहीं, नियमों की अनदेखी कर लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वालों पर अब कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग का यह अभियान जिले में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने और मरीजों को सुरक्षित व विश्वसनीय उपचार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। आने वाले दिनों में यह कार्रवाई और तेज की जाएगी, ताकि वाराणसी में केवल मानक और पंजीकृत स्वास्थ्य संस्थान ही संचालित हो सकें।
वाराणसी में अवैध क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग की सख्त कार्रवाई, 52 प्रतिष्ठान हुए सील

वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग ने अवैध क्लीनिकों के खिलाफ अभियान चलाया, अब तक 52 गैर-पंजीकृत प्रतिष्ठानों को सील किया गया और 907 का नवीनीकरण हुआ।
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