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वाराणसी में 32वां कार्डियोलॉजी अधिवेशन आज से विशेषज्ञ करेंगे हृदय रोगों पर गहन मंथन

वाराणसी में 32वां कार्डियोलॉजी अधिवेशन आज से विशेषज्ञ करेंगे हृदय रोगों पर गहन मंथन

वाराणसी में इंडियन कालेज आफ कार्डियोलाजी का 32वां अधिवेशन आज से शुरू, देश-विदेश के हजार से अधिक हृदय रोग विशेषज्ञ नवीनतम शोधों पर मंथन करेंगे।

वाराणसी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा जगत का केंद्र बनने जा रहा है। इंडियन कालेज आफ कार्डियोलाजी के 32वें अधिवेशन में देश और विदेश से आए हृदय रोग विशेषज्ञ तीन दिनों तक नवीनतम शोध, तकनीकों और भविष्य की चुनौतियों पर गहन मंथन करेंगे। अधिवेशन में एक हजार से अधिक कार्डियोलाजिस्ट हिस्सा ले रहे हैं। इस आयोजन में हृदय रोगों के उपचार में उपयोग की जा रही नवीनतम औषधियां, अत्याधुनिक सर्जरी तकनीकें और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका प्रमुख विषयों में शामिल होगी।

गुरुवार को आयोजन समिति के अध्यक्ष और जयदेवा इंस्टिट्यूट आफ कार्डियोलाजी बेंगलुरु के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर केएच श्रीनिवास तथा आयोजन सचिव और दिल्ली अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ एनएन खन्ना ने होटल ताज में पत्रकार वार्ता कर अधिवेशन की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन शुक्रवार शाम छह बजे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल संयुक्त रूप से करेंगे।

विशेषज्ञों ने बताया कि इस अधिवेशन का केंद्रबिंदु उभरती हृदय रोग संबंधी चुनौतियों और उनके समाधान की दिशा में भावी कदम होंगे। आधुनिक तकनीकों और मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत विकसित नई खोजों को भी मंच पर साझा किया जाएगा। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीकें, जो हृदय रोगों की शीघ्र पहचान और प्रभावी इलाज में उपयोगी हो रही हैं, उन पर भी विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।

अधिवेशन में आधुनिक चिकित्सा और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के बीच सेतु बनाने की संभावनाओं पर भी विमर्श होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि हृदय रोग जैसी गंभीर समस्या से निपटने में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संयोजन आमजन के लिए बेहतर परिणाम दे सकता है। इस अवसर पर हृदय रोग संबंधी समस्याओं पर आधारित एक विशेष मैनुअल भी जारी किया जाएगा, जिसे चिकित्सक वर्ग और शोधार्थियों के लिए उपयोगी बताया जा रहा है।

वाराणसी में आयोजित यह सम्मेलन न केवल चिकित्सा जगत की नवीनतम उपलब्धियों का परिचायक होगा बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भविष्य की रणनीति तय करने का भी मंच बनेगा। तीन दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन में विशेषज्ञों के बीच विचार विमर्श, शोधपत्र प्रस्तुतियां और तकनीकी कार्यशालाएं होंगी। उम्मीद की जा रही है कि यहां से निकलने वाले सुझाव और निष्कर्ष आने वाले समय में हृदय रोगों के उपचार और प्रबंधन की दिशा में नए रास्ते खोलेंगे।

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