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वाराणसी: भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पोत नमो घाट पर लॉन्च

वाराणसी: भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पोत नमो घाट पर लॉन्च

वाराणसी में स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पोत शुभारंभ, हरित परिवहन व गंगा की शुद्धता के लिए ऐतिहासिक कदम।

वाराणसी के नमो घाट पर भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल यात्री पोत का शुभारंभ किया गया जो देश में हरित परिवहन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. इस पोत के शुरू होने के साथ ही वाराणसी भारत का पहला शहर बन गया है जहां हाइड्रोजन आधारित यात्री पोत का संचालन संभव हुआ है. यह पोत पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है और पर्यावरण को बिना किसी प्रदूषण के अनुकूल रखने की क्षमता रखता है. इस पहल से न सिर्फ गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि पर्यटन को भी नई दिशा मिलने की संभावना है. सुबह आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में यह पोत हरी झंडी पाते ही गंगा की धारा में आगे बढ़ा और यह दृश्य वाराणसी में हरित ऊर्जा आधारित भविष्य की एक झलक के रूप में देखा गया.

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के सहयोग से तैयार इस कैटामरान आधारित पोत को लेकर मंत्रालय ने बताया कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल तकनीक है जो ईंधन के रूप में केवल हाइड्रोजन का उपयोग करती है. इस तकनीक का उत्सर्जन केवल जल होता है और यही कारण है कि इसे पूर्णतः प्रदूषण मुक्त माना जाता है. पोत बैटरी और सौर ऊर्जा से भी संचालित हो सकता है और बिना किसी शोर के लंबी दूरी तय करने की क्षमता रखता है. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, रविंद्र जायसवाल, दयाशंकर सिंह और दयाशंकर मिश्र दयालु ने परियोजना को वाराणसी और देश के लिए एक बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा कि यह तकनीक नदी परिवहन के स्वरूप को बदलने में सक्षम है और आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा आधारित जल परिवहन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा.

इस जलयान की क्षमता 50 यात्रियों को एक साथ ले जाने की है और यह लगभग आठ घंटे तक निरंतर सक्रिय रह सकता है. मंत्रालय की टीम ने इससे जुड़े सभी तैयारियों को समय से पहले पूरा किया ताकि इसका संचालन सुचारू रूप से शुरू किया जा सके. वाराणसी में मल्टीमॉडल टर्मिनल बनने के बाद क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को विकसित करने की दिशा में कई परियोजनाएं गति पकड़ रही हैं जिनमें रेल कनेक्शन, कम्युनिटी जेटी और फ्रेट विलेज का विकास प्रमुख है. इसके साथ ही क्रूज संचालन के लिए भी जमीन चिन्हित की जा चुकी है और जल्द ही इसके शुरू होने की संभावना है. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पोत की रिपेयर और मेंटेनेंस की सुविधा भी वाराणसी में ही विकसित की जा रही है ताकि यह परियोजना लंबे समय तक प्रभावी रहे.

अधिकारियों ने बताया कि स्वच्छ हाइड्रोजन फ्यूल तकनीक भारत में पहली बार किसी जलयान पर उपयोग में लाई गई है और यह अवसर अपने आप में ऐतिहासिक है. यह तकनीक न सिर्फ प्रदूषण मुक्त है बल्कि ऊर्जा दक्षता के लिहाज से भी श्रेष्ठ मानी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वाराणसी को एक हरित और आधुनिक परिवहन हब के रूप में विकसित करने की योजना को यह परियोजना और मजबूती प्रदान करती है. मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयासों से कई परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी हैं जबकि कुछ तेजी से आगे बढ़ रही हैं. जल की उपलब्धता और जलमार्गों के सुचारू संचालन के लिए भी नई व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं ताकि हाइड्रोजन आधारित परिवहन प्रणाली भविष्य में एक व्यापक रूप लेकर सामने आ सके.

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