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वाराणसी: सिंधौरा/कड़कती बिजली ने ली 25 बेजुबान जानें, गांव में पसरा मातम

वाराणसी: सिंधौरा/कड़कती बिजली ने ली 25 बेजुबान जानें, गांव में पसरा मातम

वाराणसी के सिंधौरा में आकाशीय बिजली गिरने से 25 भेड़ों की दर्दनाक मौत हो गई, जिससे पशुपालक परिवार सदमे में है और प्रशासन ने मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वाराणसी: ग्रामीण क्षेत्र सिंधौरा में सोमवार की देर शाम अचानक बदले मौसम ने भयंकर रूप ले लिया। तेज़ गरज और चमक के साथ गिरी आकाशीय बिजली ने गांव के एक पशुपालक की पूरी उम्मीदों पर जैसे कहर बनकर प्रहार किया। इस दर्दनाक घटना में कुल 25 भेड़ों की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे से गांव में शोक और दहशत का माहौल गहराया हुआ है, वहीं पीड़ित परिवार अपनी जीविका के प्रमुख साधन के यूं पल भर में खत्म हो जाने से सदमे में है।

घटना सिंधौरा ब्लॉक के एक खेत में हुई, जहां बारिश से बचने के लिए भेड़ें झुंड में एकत्र थीं। मौसम अचानक बदला और काली घटाएं छा गईं। तभी तेज़ गरज के साथ आकाशीय बिजली गिरी, जिसकी चपेट में आकर 25 भेड़ों ने दम तोड़ दिया। घटनास्थल की तस्वीरें और दृश्य बेहद मार्मिक थे—बेजान पड़ी भेड़ों के बीच खड़ा उनका मालिक पूरी तरह बेसुध हो गया।

स्थानीय ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना प्रशासन को दी। मौके पर पहुंचे तहसील प्रशासन और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने घटना का मुआयना किया और मृत भेड़ों की गिनती कर आवश्यक दस्तावेजी कार्रवाई शुरू कर दी। पशु चिकित्सकों की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर पुष्टि की कि मौत का कारण आकाशीय बिजली ही है।

क्षेत्रीय लेखपाल और तहसीलदार ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार यह प्राकृतिक आपदा का मामला प्रतीत होता है और नियमानुसार मुआवजे की संस्तुति की जाएगी। हालांकि, फिलहाल मुआवजे की राशि को लेकर स्पष्टता नहीं है। जिलाधिकारी कार्यालय से यह कहा गया है कि "प्राकृतिक आपदा राहत निधि" के तहत पात्रता और नियमों के अनुसार सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।

यह घटना उस समय हुई जब राज्य के कई हिस्सों में तेज़ बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मौसम में खुले क्षेत्रों में जानवरों को अकेले छोड़ना जोखिमपूर्ण हो सकता है, विशेषकर जब गरज-चमक का खतरा बना हो।

गांव वालों का कहना है कि मृत भेड़ें गरीब पशुपालक के परिवार की आजीविका का मुख्य आधार थीं। "एक झटके में हमारा सब कुछ चला गया," पीड़ित पशुपालक ने रोते हुए कहा। गांव के अन्य लोग भी उसके दुख में सहभागी बने हुए हैं और प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग कर रहे हैं।

यह घटना सिर्फ एक पशुपालक की निजी क्षति नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी तैयारी है और प्रशासन कितनी त्वरित सहायता दे पाता है। इस हादसे ने एक बार फिर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नाजुक स्थिति और पशुपालकों की असुरक्षा को सामने ला दिया है।

घटना की जांच जारी है और प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया है कि प्रभावित परिवार को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी। मगर सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या हर बार कोई हादसा होने के बाद ही व्यवस्थाएं जागेंगी।

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