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वाराणसी: नगर निगम ने प्रतिबंधित प्लास्टिक पर की बड़ी कार्रवाई, ₹50000 का लगाया जुर्माना

वाराणसी: नगर निगम ने प्रतिबंधित प्लास्टिक पर की बड़ी कार्रवाई, ₹50000 का लगाया जुर्माना

वाराणसी नगर निगम के प्रवर्तन दल ने कबीरचौरा और औरंगाबाद में प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाकर 30 बोरी सामग्री जब्त की और ₹50,000 का जुर्माना लगाया।

वाराणसी: नगर निगम के प्रवर्तन दल ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण अभियान चलाते हुए कबीरचौरा क्षेत्र में प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस अभियान का नेतृत्व नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी कर्नल संदीप शर्मा ने किया, जिनकी निगरानी में पहले एक सगड़ी चालक को प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान जब चालक से प्लास्टिक की आपूर्ति के स्रोत की जानकारी ली गई, तो उसने औरंगाबाद क्षेत्र में स्थित एक दुकान का नाम बताया। इस सूचना के आधार पर प्रवर्तन दल ने तत्काल छापेमारी की कार्रवाई की।

औरंगाबाद स्थित विजय प्लास्टिक नामक दुकान पर हुई इस छापेमारी में टीम को बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्री मिली, जिसे 30 बोरियों में भरकर रखा गया था। मौके से साक्ष्य जुटाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए संबंधित व्यापारी पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया। नगर निगम ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित प्लास्टिक के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक है और इसके उल्लंघन पर कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।

नगर निगम की इस कार्रवाई को जहां स्थानीय नागरिकों ने सराहा, वहीं विभाग के भीतर कुछ सवाल भी उठने लगे हैं। क्षेत्रीय जानकारों के अनुसार, अब तक की अधिकांश कार्रवाई सड़कों पर टालियों में बैठकर व्यवसाय करने वाले छोटे दुकानदारों या ठेले-सगड़ी चालकों के खिलाफ होती रही है, जबकि बड़े स्तर पर प्लास्टिक की आपूर्ति करने वाले व्यापारी या भंडारणकर्ता अक्सर कार्रवाई की जद से बाहर ही रहे हैं। विजय प्लास्टिक के खिलाफ हुई यह कार्रवाई इस दिशा में एक नई पहल मानी जा रही है, जिससे यह संकेत गया है कि अब नगर निगम की सख्ती केवल सतही नहीं बल्कि गहराई तक जाएगी।

नगर निगम की ओर से जारी अपील में कहा गया है कि नागरिकों को स्वयं भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रहते हुए प्रतिबंधित प्लास्टिक के प्रयोग से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। नगर निगम का यह भी कहना है कि भविष्य में इस तरह के और भी अभियान चलाए जाएंगे और किसी भी स्तर पर नियमों का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह कार्रवाई एक उदाहरण है कि यदि प्रवर्तन ईमानदारी और निर्णायक इच्छाशक्ति के साथ किया जाए तो न केवल कानून का प्रभाव दिखता है, बल्कि जनता में भी जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए यह जरूरी है कि नियमों को केवल कागज़ों पर नहीं बल्कि ज़मीन पर भी सख्ती से लागू किया जाए, और यह अभियान उसी दिशा में उठाया गया एक साहसिक कदम है।

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