वाराणसी: राजातालाब/ देश की जैव विविधता का प्रतीक और भारत का गौरवशाली राष्ट्रीय पक्षी मोर शुक्रवार की सुबह एक दुःखद घटना का शिकार हो गया। राजातालाब क्षेत्र में बाजार के पास उड़ते हुए एक मोर विद्युत पोल पर आकर बैठा, लेकिन दुर्भाग्यवश वह ऊपर से गुजर रहे हाई वोल्टेज बिजली के तार की चपेट में आ गया। करंट लगने के कारण मोर गंभीर रूप से झुलस गया और तुरंत जमीन पर गिर पड़ा। स्थानीय निवासी भोला माली, पंकज शर्मा और विजय मोदनमल ने मानवीयता का परिचय देते हुए तत्काल घायल मोर को उठाकर उसे पानी पिलाया और बचाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन कुछ ही पलों में राष्ट्रीय पक्षी ने दम तोड़ दिया।
घटना की सूचना मिलते ही राजातालाब पुलिस मौके पर पहुंची और तत्काल वन विभाग को सूचित किया गया। कुछ ही समय में वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई और मृत मोर को अपने कब्जे में लेकर आवश्यक प्रक्रिया प्रारंभ की। राष्ट्रीय पक्षी होने के कारण मोर की मृत्यु को बेहद संवेदनशील और विधिसम्मत प्रक्रिया से निपटाया जाता है। ऐसे मामलों में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत विशेष प्रावधान लागू होते हैं। इसके तहत, मोर के शव का बिना किसी धार्मिक या व्यक्तिगत हस्तक्षेप के वैज्ञानिक ढंग से पोस्टमार्टम किया जाता है ताकि उसकी मृत्यु के वास्तविक कारणों की पुष्टि हो सके।
पोस्टमार्टम के पश्चात मोर का अंतिम संस्कार पूरी तरह से वन विभाग की देखरेख में किया जाता है। यह अंतिम संस्कार अत्यंत सम्मानजनक और सुरक्षित विधि से होता है, जिसमें पर्यावरणीय संतुलन और जैविक संरक्षण के नियमों का पालन किया जाता है। आमतौर पर मोर के मृत शरीर को लकड़ी या गाय के कंडों के साथ जलाया जाता है या फिर निर्धारित गड्ढों में जैव अपघटन की प्रक्रिया के तहत दफनाया जाता है। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी प्रकार से मोर के पंख या शरीर का कोई भाग अवैध रूप से संग्रह या व्यापार न किया जाए, क्योंकि मोर के पंखों का रखना या बेचना भारतीय कानून के तहत दंडनीय अपराध है।
मोर की इस दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु से स्थानीय लोगों में शोक की लहर है। लोग इस घटना को प्राकृतिक सौंदर्य और राष्ट्रीय विरासत की क्षति के रूप में देख रहे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि बिजली विभाग को ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में विद्युत लाइन की निगरानी कड़ी करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
गौरतलब है कि मोर न केवल अपनी मनोहर छवि और आकर्षक नृत्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, कला और धर्म का भी अभिन्न हिस्सा है। यह पक्षी वर्षा के आगमन का दूत माना जाता है और ग्रामीण जीवन में शुभ संकेत के रूप में देखा जाता है। राष्ट्रीय पक्षी की इस तरह की मौत निश्चित ही एक गहरी चिंता का विषय है और हमें जैव विविधता की रक्षा हेतु अधिक सजग होने की आवश्यकता है।
वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में यह संदेश स्पष्ट है कि देश की राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का भी नैतिक दायित्व है। मोर जैसे जीवों की सुरक्षा और सम्मान में ही हमारी संस्कृति की असली पहचान छिपी है।
वाराणसी: राजातालाब/ करंट लगने से राष्ट्रीय पक्षी मोर की दर्दनाक मौत

वाराणसी के राजातालाब में शुक्रवार सुबह एक मोर की करंट लगने से दर्दनाक मौत हो गई, वन विभाग ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अंतिम संस्कार किया।
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