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वाराणसी में इन्वेस्टमेंट ठगी का भंडाफोड़, पुलिस ने नासिक से तीन आरोपी पकड़े, 20 करोड़ से ज्यादा की ठगी का खुला

वाराणसी में इन्वेस्टमेंट ठगी का भंडाफोड़, पुलिस ने नासिक से तीन आरोपी पकड़े, 20 करोड़ से ज्यादा की ठगी का खुला

वाराणसी की सारनाथ पुलिस ने लाखों की साइबर ठगी का खुलासा कर फर्जी निवेश योजना चलाने वाले तीन आरोपियों को नासिक से गिरफ्तार किया.

वाराणसी: इन्वेस्टमेंट के नाम पर लाखों रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का बड़ा खुलासा हुआ है. सारनाथ पुलिस ने एक साइबर ठगी मामले की जांच करते हुए नासिक के गंगापुर थाना क्षेत्र स्थित ईडन अपार्टमेंट से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. ये सभी लंबे समय से फर्जी निवेश योजना चलाकर लोगों से बड़ी रकम वसूल रहे थे और पुलिस से बचते फिर रहे थे. गिरफ्तारी के दौरान इनके पास से कई मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, चेक बुक, पास बुक, फर्जी मुहर, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए. पुलिस ने पूछताछ पूरी करने के बाद तीनों को जेल भेज दिया है जबकि इसी मामले में तीन अन्य आरोपी अभी फरार हैं.

सहायक पुलिस आयुक्त विदुष सक्सेना के अनुसार सारनाथ क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने इन्वेस्टमेंट के नाम पर सात लाख रुपए की ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के बाद पुलिस और साइबर सेल ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की. सर्विलांस के जरिए लोकेशन ट्रैक की गई जो नासिक के गंगापुर थाना क्षेत्र में मिली. इसके बाद टीम ने मौके पर पहुंचकर छापा मारा और तीनों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गोरखपुर के बरईपार निवासी राजेंद्र प्रसाद जायसवार, उनकी पत्नी धनौती देवी और पुत्रवधू संगीता के रूप में हुई है.

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे नासिक के ईडन अपार्टमेंट में रहकर फर्जी कंपनी के नाम पर इन्वेस्टमेंट योजना चलाते थे. मुख्य आरोपी राजेंद्र प्रसाद ने अपनी पत्नी के नाम से डीडी फाइनेंस नामक कंपनी बनाई थी. उनकी इस ठगी में बेटों उपेंद्र, अनिल और संदीप की भी भूमिका थी. ठगी का पैसा अक्सर संगीता के बैंक खाते में भेजा जाता था. ये लोग किसी होटल या अपार्टमेंट में निवेश मेला लगाते थे और लोगों को एक वर्ष में रकम तीन गुना करने का लालच देकर निवेश करवाते थे. पैसा जमा होने के बाद ये सभी फरार हो जाते थे. फिलहाल उपेंद्र, अनिल और संदीप पुलिस की पहुंच से बाहर हैं.

गिरफ्तार आरोपियों के पास से तीन एटीएम कार्ड, पांच मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, कई पासबुक, फर्जी मुहरें और स्टॉक ब्रोकर का मुहरयुक्त लेटर पैड भी मिला है. पुलिस ने जब दस्तावेजों की जांच की तो प्रारंभिक रूप से लगभग साठ लाख की ठगी का मामला सामने आया. हालांकि पूछताछ में आरोपियों ने खुद स्वीकार किया कि वे अब तक बीस करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर चुके हैं. इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर वे कई राज्यों में लोगों को निशाना बनाते थे और खासकर व्यापारियों से बड़ी रकम वसूलते थे.

सहायक पुलिस आयुक्त विदुष सक्सेना ने बताया कि गोरखपुर के बेलीपार थाना में इस परिवार पर दस से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. ये सभी लंबे समय से पुलिस के हाथ नहीं लग पाए थे. इन पर बेलीपार थाना से दस हजार रुपए का इनाम भी घोषित था. वाराणसी पुलिस का मानना है कि यह गिरफ्तारी साइबर ठगी और निवेश धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने में एक बड़ा कदम है. पुलिस फरार आरोपियों की तलाश कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही पूरे गिरोह को पकड़ लिया जाएगा.

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