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वाराणसी: फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 29 आरोपी गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा

वाराणसी: फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 29 आरोपी गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा

वाराणसी पुलिस ने विदेशी नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर विभिन्न राज्यों के 29 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

वाराणसी: साइबर अपराधियों के एक बड़े नेटवर्क का वाराणसी पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। स्थानीय नागरिकों की सतर्कता और त्वरित सूचना पर पुलिस ने अमरा चौराहा स्थित जीन पब्लिक स्कूल की इमारत में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरोह विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर ड्रग्स और चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर उन्हें डराता और ठगी करता था।

डीसीपी वरुणा जोन प्रमोद कुमार ने गुरुवार को मीडिया के सामने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने वाला नेटवर्क चला रहा था। गिरफ्तार आरोपियों में अलग-अलग राज्यों, पंजाब, नागालैंड, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, त्रिपुरा और मेघालय के युवक शामिल हैं। पुलिस ने मौके से 40 CPU, 42 मॉनीटर, 55 हेडफोन, 30 माउस, 40 कीबोर्ड, कई मोबाइल फोन और सात फर्जी आधार कार्ड भी बरामद किए हैं।

पुलिस जांच में सामने आया कि इस गिरोह के मास्टरमाइंड कौशलेन्द्र तिवारी और उसके सहयोगी एक बाहरी कंपनी से कॉलिंग पोर्टल खरीदते थे। इस पोर्टल पर उन्हें विदेशी नागरिकों के मोबाइल नंबर उपलब्ध होते थे। इसके बाद आरोपी फर्जी IVR कॉल सिस्टम तैयार कर अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी नामी ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से झूठे खरीदारी और डिलीवरी कन्फर्मेशन कॉल करते थे।

शिकायतकर्ताओं को फंसाने के लिए आरोपियों का अगला कदम बेहद खौफनाक होता था। वे उन्हें यह विश्वास दिलाते थे कि उनके पार्सल में ड्रग्स या चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसी प्रतिबंधित चीजें मिली हैं। इस बहाने कॉल ट्रांसफर कर नकली "लीगल अथॉरिटी" से बात कराई जाती थी, जहां गिरोह के सदस्य खुद को पुलिस या जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ितों को धमकाते थे। डर के माहौल में फंसे विदेशी नागरिकों से बैंक अकाउंट की डिटेल ली जाती और उनसे बिटकॉइन या गिफ्ट कार्ड्स के माध्यम से भारी रकम वसूली जाती थी।

डीसीपी प्रमोद कुमार ने बताया कि यह गिरोह न केवल लोगों की मेहनत की कमाई हड़प रहा था, बल्कि विदेशी नागरिकों में भारत की छवि को भी धूमिल कर रहा था। ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों के साथ भी तालमेल किया जाएगा। फिलहाल गिरफ्तार सभी आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है और गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।

स्थानीय जनता की सतर्कता से सामने आया यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि साइबर अपराधी अब तकनीक के सहारे सीमा पार ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस गिरोह के तार और भी राज्यों और देशों तक फैले हो सकते हैं। जांच टीम जल्द ही इस पूरे नेटवर्क की गहराई तक जाकर और खुलासे करने की तैयारी कर रही है।

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