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वाराणसी: सिंधिया घाट पर 36वीं वाहिनी पीएसी के जवानों ने डूबते हुए पर्यटक को बचाया

वाराणसी: सिंधिया घाट पर 36वीं वाहिनी पीएसी के जवानों ने डूबते हुए पर्यटक को बचाया

वाराणसी के सिंधिया घाट पर बुधवार को गंगा में डूब रहे पर्यटक सिद्धार्थ डे को पीएसी जवानों ने तुरंत रेस्क्यू कर जीवन रक्षा की, जिससे बड़ा हादसा टल गया; मौके पर मौजूद जवानों की तत्परता और साहस की प्रशंसा हो रही है।

वाराणसी: काशी के गंगा घाटों पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन बुधवार को रामनगर स्थित सिंधिया घाट पर एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। पश्चिम बंगाल के सोनारपुरा निवासी 25 वर्षीय सिद्धार्थ डे गंगा स्नान के दौरान डूबने लगे थे, लेकिन मौके पर तैनात 36वीं वाहिनी पीएसी के सतर्क जवानों ने तत्परता दिखाते हुए उनकी जान बचा ली।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिद्धार्थ डे काशी घूमने के उद्देश्य से बनारस आए हुए थे और बुधवार को सुबह के समय गंगा स्नान के लिए सिंधिया घाट पहुंचे। स्नान के दौरान उनका पैर फिसल गया या गहराई का अंदाज़ा नहीं लग पाने के कारण वह अचानक बहाव की दिशा में बहने लगे और धीरे-धीरे डूबते हुए घाट से दूर जाने लगे। वहां मौजूद अन्य पर्यटक और स्थानीय लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही घाट की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवानों की नजर उन पर पड़ी।

सुरक्षा ड्यूटी में मुस्तैदी से तैनात जवानों ने बिना समय गंवाए तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। जवानों ने घाट की सीढ़ियों से रस्सी और ट्यूब की मदद से गंगा में उतरकर सिद्धार्थ को सुरक्षित बाहर निकाला। रेस्क्यू के बाद जवानों ने प्राथमिक चिकित्सा देकर उन्हें संभाला और पूरी स्थिति सामान्य होते ही स्थानीय पुलिस व मेडिकल टीम को सूचना दी गई।

स्थानीय लोगों ने पीएसी जवानों की इस तत्परता और साहस की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर जवान कुछ पल भी देर करते तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी। घाट पर उपस्थित लोगों के अनुसार, गंगा में स्नान करते समय अक्सर बाहर से आए पर्यटकों को गहराई और बहाव का अंदाज़ा नहीं होता, जिससे ऐसे हादसे हो जाते हैं।

पुलिस और पीएसी अधिकारियों ने भी रेस्क्यू करने वाले जवानों की सराहना की है। घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए टीम को अतिरिक्त सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, प्रशासन ने पर्यटकों से अपील की है कि वे गंगा स्नान के दौरान केवल निर्धारित सुरक्षित क्षेत्रों में ही उतरें और घाटों पर लगे चेतावनी संकेतों का पालन करें।

काशी जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर लगातार बढ़ती भीड़ के बीच घाटों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ऐसे वक्त पर जीवन रक्षक बन कर सामने आते हैं। बुधवार की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आपदा की घड़ी में सुरक्षाबलों की तत्परता और सेवाभाव किस प्रकार जनमानस की रक्षा करता है।

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