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वाराणसी: उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने सरकार को सौंपा ज्ञापन, वेतनमान और पदोन्नति को लेकर दिया धरना

वाराणसी: उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने सरकार को सौंपा ज्ञापन, वेतनमान और पदोन्नति को लेकर दिया धरना

उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने सरकार को ज्ञापन सौंपकर सेवा संरचना, वेतनमान, पदोन्नति और कार्य परिस्थितियों से जुड़ी अपनी लंबित मांगों को पूरा करने की अपील की है।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने राज्य सरकार को एक विस्तृत ज्ञापन भेजते हुए लेखपालों की सेवा संरचना, वेतनमान, पदोन्नति, स्थानांतरण और कार्य परिस्थितियों से जुड़ी कई लंबे समय से लंबित समस्याओं के समाधान की मांग की है। संघ का कहना है कि लेखपाल राज्य के राजस्व प्रशासन की बुनियादी इकाई हैं, लेकिन कई जरूरी सुधारों और सुविधाओं के अभाव में वे लगातार बढ़ते कामकाज का दबाव झेल रहे हैं। संघ ने यह भी कहा है कि बार बार शासन स्तरीय बैठकों और निर्देशों के बावजूद समस्याओं पर ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके कारण कर्मचारी असंतोष बढ़ रहा है।

संघ के अनुसार पिछले कई वर्षों में प्रदेश में जनसंख्या और भूमि विवादों में तेज वृद्धि हुई है, लेकिन लेखपालों के पदों में अपेक्षित विस्तार नहीं किया गया। दस्तावेज में बताया गया है कि वर्ष 1989 में प्रदेश में 13 करोड़ की आबादी पर लेखपालों के 27522 पद स्वीकृत थे, जबकि आज आबादी लगभग 25 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इस दौरान भूमि मामलों, सरकारी योजनाओं और स्थानीय शिकायतों का बोझ कई गुना बढ़ा है, लेकिन लेखपालों की संख्या उसी अनुपात में नहीं बढ़ी। संघ ने मांग रखी है कि प्रदेश में बढ़ते कार्यभार को देखते हुए अतिरिक्त लेखपाल पदों का त्वरित सृजन किया जाए।

वेतन और भत्तों से जुड़ी समस्याएं भी ज्ञापन का एक मुख्य हिस्सा हैं। संघ ने कहा है कि राज्य लेखपाल सेवा का प्रारम्भिक वेतनमान लंबे समय से अपरिवर्तित है और सेवा की प्रकृति को देखते हुए इसे उच्चतर वेतनमान में शामिल किया जाना चाहिए। छठे वेतन आयोग की विसंगतियों के कारण लेखपालों को कैरियर प्रगति में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेशनरी भत्ता अभी भी 100 रुपये प्रतिमाह है जो वर्ष 2010 से बढ़ा नहीं है जबकि डिजिटल कार्यप्रणाली और फील्ड कार्य के विस्तार के कारण खर्च कई गुना बढ़ चुका है। इसी तरह वाहन भत्ता भी अत्यंत कम है जबकि लेखपालों को तहसील और गांव स्तर पर मोटरसाइकिल से व्यापक क्षेत्र में लगातार फील्ड कार्य करना होता है। संघ ने स्टेशनरी भत्ता 1000 रुपये प्रतिमाह और वाहन भत्ता 2500 रुपये प्रतिमाह करने की मांग की है।

पदोन्नति व्यवस्था भी प्रमुख मुद्दों में शामिल है। संघ ने बताया है कि राजस्व निरीक्षक और नायब तहसीलदार जैसे पदों पर लेखपालों के लिए उपलब्ध पद संख्या बहुत सीमित है, जबकि वास्तविक कार्य अनुभव और जमीनी जिम्मेदारियों को देखते हुए लेखपालों को इन पदों पर अधिक अवसर दिए जाने चाहिए। दस्तावेज में वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रस्तावों और शासनादेशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि नियमित पदोन्नति, विभागीय परीक्षा और प्रतिस्पर्धी प्रक्रियाओं के माध्यम से लेखपालों के लिए स्पष्ट और समयबद्ध मार्ग निर्धारित किया जाए ताकि सेवा में ठहराव समाप्त हो सके।

स्थानांतरण नीति पर भी संघ ने असंतोष जताया है। उन्होंने कहा है कि अंतर जनपदीय स्थानांतरण से संबंधित स्पष्ट और मानवीय नीति आवश्यक है ताकि विवाहित कर्मचारियों और विशेष परिस्थितियों वाले लेखपालों को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। संघ ने वर्ष 2018 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत अंतर जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया निर्धारित की गई थी लेकिन बहुत से कर्मचारियों को अब भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि हजारों आवेदन लम्बित हैं और स्पष्ट दिशा निर्देशों की कमी के कारण स्थानांतरण सूची जारी नहीं हो पा रही है।

सेवानिवृत्त लेखपालों की पेंशन व्यवस्था भी ज्ञापन में विस्तार से शामिल है। संघ ने पुरानी पेंशन व्यवस्था से जुड़े न्यायालय आदेशों और शासन निर्देशों का हवाला दिया है और कहा है कि अनेक मामलों में कर्मचारियों को निर्दिष्ट लाभ समय पर नहीं मिल पा रहे। उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को लागू किए बिना पेंशन मामलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आर्थिक असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

संघ ने कार्यालय सुविधाओं और आवास व्यवस्था में सुधार की मांग भी उठाई है। लेखपालों ने कहा है कि अधिकांश जगहों पर न तो पर्याप्त कार्यालय कक्ष हैं और न ही आवासीय सुविधाएं, जबकि उन्हें प्रतिदिन व्यापक क्षेत्र में राजस्व कार्यों के लिए उपलब्ध रहना पड़ता है। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में तैनात लेखपालों के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित आवास की मांग लंबे समय से की जा रही है।

संघ ने याद दिलाया है कि उनके मुद्दों पर 2024 में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक बैठकों में चर्चा हुई थी और कुछ निर्णय भी लिए गए थे, लेकिन इन पर अमल नहीं हुआ। हाल ही में संघ द्वारा आयोजित बैठकों में यह असंतोष व्यक्त किया गया कि यदि समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाते तो लेखपालों को प्रदर्शन और आंदोलन जैसे विकल्प चुनने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ज्ञापन के अंत में संघ ने सरकार से अनुरोध किया है कि राजस्व प्रशासन की मजबूती और भूमि अभिलेख प्रणाली को अधिक सक्षम बनाने के लिए इन सभी मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की जाए और संबंधित विभागों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए जाएं।

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