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वाराणसी: पुतिन के भारत दौरे पर 1100 दीपों से हुआ भव्य स्वागत, गंगा आरती में दिखा अद्भुत नजारा

वाराणसी: पुतिन के भारत दौरे पर 1100 दीपों से हुआ भव्य स्वागत, गंगा आरती में दिखा अद्भुत नजारा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर 1100 दीपों से वेलकम पुतिन लिखकर भव्य स्वागत किया गया।

वाराणसी: भारत-रूस संबंधों में एक नई ऊर्जा और विश्वास का संदेश देते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर पहुंचे। दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं प्रोटोकॉल तोड़कर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस राजनयिक मुलाकात के बीच प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी एक ऐतिहासिक और अद्वितीय दृश्य देखने को मिला, जिसने काशी की आध्यात्मिक परंपरा को अंतरराष्ट्रीय सम्मान के साथ जोड़ दिया।

1100 दीपों से लिखा गया – ‘Welcome Putin’
दुनिया की सबसे प्राचीन जीवित नगरी वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गुरुवार की संध्या का नजारा मन मोह लेने वाला था। जैसे ही सूरज क्षितिज की ओर ढला, घाट पर गंगा सेवा निधि संस्थान द्वारा रोज की तरह संध्याकालीन गंगा आरती की तैयारियाँ शुरू हुईं, लेकिन इस बार दृश्य कुछ और ही था।
घाट पर 1100 दीयों को इस प्रकार सजाया गया कि उनमें स्पष्ट अक्षरों में “Welcome Putin” उद्भासित हो उठा। तेज हवा की लहरों के बीच भी इन दीपों की लौ अडिग रही, मानो आध्यात्मिक ऊर्जा स्वयं इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बन गई हो। पूरा घाट सुनहरे प्रकाश में नहा उठा और उपस्थित हर व्यक्ति इस अनोखे दृश्य का साक्षात्कार कर गर्व महसूस करता दिखा।

पूजा-अर्चना के बाद आरंभ हुई भव्य गंगा आरती
दीप सज्जा के बाद गंगा तट पर वैदिक मंत्रों के बीच मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की गई। वैदिक आचार्यों के मंत्रोच्चार, घंटियों की ध्वनि और ढोल-नगाड़ों की ताल ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया। इसके बाद पारंपरिक ढंग से भव्य गंगा आरती आरंभ हुई।
आरती के दौरान उपस्थित भक्तों और श्रद्धालुओं ने भारत और रूस के संबंधों की मजबूती के लिए बाबा विश्वनाथ से विशेष प्रार्थना की। लोगों ने दोनों देशों की मित्रता को विश्व शांति, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए ‘महत्वपूर्ण स्तंभ’ बताया।

गंगा सेवा निधि का सम्मान और परंपरा
गंगा सेवा निधि संस्था, जो दशकों से इस विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का संचालन करती आ रही है, ने इस अवसर को एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी और सम्मान दोनों के रूप में लिया। संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि “रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए हैं। हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि हम काशी की परंपरा से उनका स्वागत कर पाए। इसलिए हमने सांस्कृतिक संदेश देते हुए 1100 दीप जलाकर उनका अभिनंदन किया और बाबा विश्वनाथ से उनके स्वास्थ्य, दीर्घायु और भारत-रूस संबंधों की और मजबूती के लिए प्रार्थना की।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल हो चुके हैं। ऐसे क्षण काशी के वैश्विक महत्व और आध्यात्मिक समृद्धि की गवाही देते हैं।

घाट पर उमड़ा जनसैलाब
पूरे घाट पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। पर्यटक, स्थानीय लोग, साधु-संत, नाविक सब इस अद्वितीय दृश्य के गवाह बनना चाहते थे। हर किसी के हाथ में मोबाइल और कैमरे थे, परंतु कुछ समय बाद सभी ने स्क्रीन हटाकर इस सजीव दृश्य को आँखों में बसाया। हवा में ‘हर हर महादेव’ और ‘गंगा मैया की जय’ के जयकारे गूंजते रहे।

विदेशी पर्यटकों के लिए यह दृश्य किसी चमत्कार से कम नहीं। कई पर्यटकों ने कहा कि उन्होंने दुनिया में कई धार्मिक अनुष्ठान देखे हैं, लेकिन काशी की गंगा आरती जैसी जीवंतता और आध्यात्मिक शक्ति कहीं और नहीं मिली।

भारत–रूस संबंधों के लिए ‘काशी संदेश’
यह दीपोत्सव केवल स्वागत का रूप नहीं था, बल्कि भारत-रूस मित्रता का प्रतीक संदेश भी था। काशी के इस सांस्कृतिक अभिवादन ने यह दर्शाया कि भारत की जनता भी वैश्विक संबंधों में सूक्ष्म लेकिन गहरे तरीके से अपनी भावना व्यक्त करती है।
जहाँ दिल्ली की धरती ने पुतिन का राजनयिक स्वागत किया, वहीं काशी की पावन भूमि ने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दीपों से इस स्वागत को स्मरणीय बना दिया।

अविस्मरणीय, अनोखा और ऐतिहासिक क्षण
1100 दीपों से सजा ‘Welcome Putin’ का दृश्य आने वाले समय में काशी की सांस्कृतिक परंपरा और भारत-रूस संबंधों के इतिहास में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में दर्ज होगा। यह केवल एक स्वागत नहीं, बल्कि एक संदेश था, विश्व राजनीति के बीच भी काशी की संस्कृति, आध्यात्मिकता और लोकभावना अपनी अनूठी भाषा में वैश्विक संदेश देने की क्षमता रखती है।

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