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जेबीवीएनएल ऑडिट रिपोर्ट में भारी अनियमितता, उपभोक्ताओं की जमा राशि पर गंभीर सवाल

जेबीवीएनएल ऑडिट रिपोर्ट में भारी अनियमितता, उपभोक्ताओं की जमा राशि पर गंभीर सवाल

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की ऑडिट रिपोर्ट में कंज्यूमर सिक्यूरिटी डिपाजिट के प्रबंधन में भारी अनियमितताएँ सामने आई हैं।

रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड जेबीवीएनएल की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024 25 के लिए तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट में कंज्यूमर सिक्यूरिटी डिपाजिट और उस पर देय ब्याज के प्रबंधन में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंप दी गई है, जिसके बाद निगम की वित्तीय पारदर्शिता और रिकॉर्ड प्रबंधन पर बहस तेज हो गई है।

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 - 25 के दौरान उपभोक्ताओं से सिक्यूरिटी डिपाजिट के रूप में बड़ी राशि वसूली गई, लेकिन करीब 535 करोड़ रुपये का स्पष्ट विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस राशि के संबंध में उपभोक्ता वार जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि यह धन किन उपभोक्ताओं से लिया गया और किस मद में रखा गया। इस स्थिति ने जेबीवीएनएल के वित्तीय अनुशासन और डेटा प्रबंधन प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि उपभोक्ताओं की सिक्यूरिटी राशि पर देय ब्याज के भुगतान में भी कई स्तर पर लापरवाही बरती गई। वर्ष के दौरान कुछ उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में ब्याज की राशि को समायोजित किया गया, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी और एक समान नहीं थी। उपभोक्ता वार सही और अद्यतन जानकारी उपलब्ध न होने के कारण ऑडिट टीम यह तय नहीं कर सकी कि ब्याज भुगतान की कुल देनदारी कितनी है और इसका वास्तविक वित्तीय प्रभाव क्या पड़ा।

इसके अलावा रिपोर्ट में डिस्कनेक्ट किए गए उपभोक्ताओं को की गई रिफंड प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं। ऑडिट के अनुसार वर्ष के दौरान 364.36 लाख रुपये की राशि ऐसे उपभोक्ताओं को वापस की गई, जिनके कनेक्शन काटे जा चुके थे। हालांकि इन भुगतानों से जुड़ा उपभोक्ता वार विवरण और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। इस कारण इन रिफंड लेन देन की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हो सकी।

ऑडिट रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि यदि समय रहते रिकॉर्ड प्रबंधन, उपभोक्ता डेटा और वित्तीय पारदर्शिता में सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में निगम को न केवल नियामक स्तर पर जवाबदेही का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि उपभोक्ताओं का भरोसा भी प्रभावित हो सकता है। अब निगाहें झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग पर टिकी हैं कि वह इस रिपोर्ट के आधार पर जेबीवीएनएल से क्या जवाब तलब करता है और सुधार के लिए कौन से ठोस निर्देश जारी करता है।

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