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लखनऊ: हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में एसआईआर लागू करने की याचिका की खारिज

लखनऊ: हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में एसआईआर लागू करने की याचिका की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायत चुनाव में एसआईआर लागू करने की याचिका को खारिज किया।

लखनऊ: प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लागू करने की मांग को निराधार मानते हुए याचिका खारिज कर दी। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पूरी तरह विधिसम्मत है और उसमें न्यायिक हस्तक्षेप का कोई ठोस आधार नहीं बनता।

यह याचिका संत कबीर नगर निवासी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी की ओर से दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए लागू दिशा-निर्देशों के अनुरूप पंचायत चुनावों में भी एसआईआर लागू किया जाए। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया पहले ही 18 जुलाई 2025 से प्रारंभ हो चुकी है और इसकी अस्थायी मतदाता सूची 23 दिसंबर 2025 को प्रकाशित की जानी है। ऐसे में केवल यह तर्क कि अन्य चुनावों के नियम पंचायत चुनावों पर भी लागू किए जाएं, हस्तक्षेप का आधार नहीं बन सकता। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ याचिका को “सारहीन” बताते हुए खारिज कर दिया।

इस बीच पंचायत चुनावों के लिए कराए गए विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान के आंकड़े भी सामने आए हैं, जो इस प्रक्रिया की व्यापकता को दर्शाते हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त आर.पी. सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान कुल 1 करोड़ 81 लाख 96 हजार 367 नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया, जबकि 1 करोड़ 41 लाख 76 हजार 809 नाम हटाए गए। इसके परिणामस्वरूप पिछली सूची की तुलना में कुल 40 लाख 19 हजार 558 मतदाताओं की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई है, जो करीब 3.26 प्रतिशत है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि पुनरीक्षण से पहले पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में 12 करोड़ 29 लाख 50 हजार 52 मतदाता दर्ज थे, जो अब बढ़कर 12 करोड़ 69 लाख 69 हजार 610 हो गए हैं। जिन नामों को सूची से हटाया गया है, उनमें मृत, विस्थापित और डुप्लीकेट मतदाता शामिल हैं। खास तौर पर डुप्लीकेट मतदाताओं की संख्या 53 लाख 67 हजार 410 रही, जिन्हें चिन्हित कर हटाया गया।

आंकड़ों के अनुसार 18 से 23 वर्ष आयु वर्ग के पहली बार वोटर बनने वाले युवाओं की संख्या करीब 1.05 लाख रही। आयोग का कहना है कि पुनरीक्षण अभियान के दौरान नए और पात्र मतदाताओं को जोड़ने को प्राथमिकता दी गई, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि कोई भी अयोग्य व्यक्ति सूची में शामिल न रहे। भौगोलिक दृष्टि से तराई के जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

कुल मिलाकर हाईकोर्ट के फैसले और निर्वाचन आयोग के आंकड़ों ने यह साफ कर दिया है कि पंचायत चुनाव की तैयारियां निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ रही हैं और मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी व त्रुटिरहित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।

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