Thu, 06 Nov 2025 14:58:12 - By : Garima Mishra
आगरा: सोशल मीडिया पर दोस्ती का जाल एक विवाहिता के लिए भारी पड़ गया। इंस्टाग्राम पर एक अनजान व्यक्ति से बातचीत के बाद महिला साइबर ठगी की शिकार बन गई। खुद को यूनाइटेड किंगडम का डॉक्टर बताने वाले ठग ने पहले गिफ्ट भेजने का लालच दिया, फिर कस्टम विभाग के नाम पर धमकाकर 30 लाख रुपये ठग लिए। अब पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना साइबर अपराधों के बढ़ते जाल और सोशल मीडिया पर सतर्कता की जरूरत को एक बार फिर उजागर करती है।
छत्ता थाना क्षेत्र की रहने वाली मेघा (बदला हुआ नाम) इंस्टाग्राम पर अंजान लोगों से बातचीत करना पसंद करती थी। 17 अक्टूबर को उसे एक नए अकाउंट से फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। व्यक्ति ने खुद को डॉक्टर खान बताया और कहा कि वह यूके में डॉक्टर है। दोनों में लगातार बातचीत होने लगी और मेघा ने उस पर भरोसा कर लिया। कुछ दिनों बाद डॉक्टर खान ने कहा कि वह उसे दोस्ती के प्रतीक के रूप में एक कीमती गिफ्ट पार्सल भेज रहा है। उसने वीडियो कॉल पर गिफ्ट दिखाया, जिसमें 25 तोला सोना, एक आईफोन, दो सूट, एक पर्स और 2500 पाउंड कैश बताया गया। इतना महंगा गिफ्ट देखकर मेघा का भरोसा और बढ़ गया और वह पार्सल के आने का इंतजार करने लगी।
कुछ दिनों बाद मेघा के पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को कस्टम विभाग का अधिकारी बताया और कहा कि पार्सल में अवैध सामान पाया गया है। उसने कहा कि अगर मेघा ने कस्टम शुल्क जमा नहीं किया तो उसके घर पर रेड पड़ेगी, पति और ससुराल वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और सीबीआई व आयकर विभाग से भी कार्रवाई करवाई जाएगी। रेड और बदनामी के डर से मेघा घबरा गई। उसने अपने गहने बेच दिए और दोस्तों से उधार लेकर ठग द्वारा बताए गए खातों में तीस लाख रुपये से अधिक जमा करा दिए। ठग लगातार और पैसे की मांग करते रहे। जब महिला के पास पैसे खत्म हो गए तो उसने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने खातों और कॉल डिटेल्स के आधार पर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह तरीका नया नहीं है। करीब दस वर्ष पहले भी ऐसे ही मामलों में लोग ठगे गए थे, जब ऑनलाइन दोस्ती के बाद विदेशी गिफ्ट या पार्सल भेजने के नाम पर रकम वसूली जाती थी। अब साइबर अपराधी पुराने तरीकों को हाईटेक बनाकर उपयोग कर रहे हैं। वे पहले व्यक्ति की प्रोफाइल और आर्थिक स्थिति का आकलन करते हैं, फिर डर और लालच दोनों का इस्तेमाल कर शिकार को फंसाते हैं।
एडीसीपी आदित्य कुमार ने बताया कि ऐसे मामलों में जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। किसी अंजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर बातचीत के दौरान निजी जानकारी साझा न करें। कोई खुद को अधिकारी बताकर धमकाए तो उसकी तुरंत सूचना पुलिस हेल्पलाइन या साइबर सेल को दें। उन्होंने कहा कि पुलिस कभी किसी निर्दोष व्यक्ति से फोन पर पैसे नहीं मांगती, इसलिए ऐसी किसी भी मांग पर विश्वास न करें।
यह मामला एक गंभीर चेतावनी है कि सोशल मीडिया पर बढ़ती कनेक्टिविटी के इस दौर में सतर्कता ही सुरक्षा है। डिजिटल युग में एक क्लिक की गलती भी लाखों रुपये का नुकसान करवा सकती है।