इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मौलाना खुर्शीद कादरी मामले की सुनवाई 2026 तक टाली, चार दशकों से लापता मौलाना

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चार दशक पुराने लापता मौलाना खुर्शीद कादरी मामले की सुनवाई 2026 तक टाली, एजेंसियों पर सवाल।

Sat, 20 Dec 2025 00:36:54 - By : SUNAINA TIWARI

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लापता मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी से जुड़े मामले की अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी 2026 की तारीख तय की है। यह मामला बीते चार दशकों से न्यायिक प्रक्रिया में उलझा हुआ है और अब तक कादरी का कोई सुराग नहीं लग पाया है। प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज आपराधिक मामले में वर्ष 1984 में मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सजा के खिलाफ उसी वर्ष उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी।

अपील लंबित रहने के दौरान मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी को जमानत मिली थी। जमानत पर रिहा होने के बाद वह अचानक लापता हो गया और इसके बाद से वह न तो किसी अदालत के समक्ष पेश हुआ और न ही जांच एजेंसियां उसका पता लगा सकीं। हाई कोर्ट की ओर से उसके खिलाफ वारंट भी जारी किया गया, लेकिन प्रदेश पुलिस अब तक उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने में असफल रही है। इस लंबे अंतराल ने न केवल न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित किया है, बल्कि कानून व्यवस्था और जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रुख जानना चाहा। अदालत ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल से यह जानकारी मांगी कि आखिर किस केंद्रीय या राज्य एजेंसी को मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी को पकड़कर अदालत में पेश करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि इतने लंबे समय से किसी सजायाफ्ता व्यक्ति का लापता रहना गंभीर विषय है और इस पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।

हालांकि अब तक यह तय नहीं हो सका है कि कादरी की तलाश और गिरफ्तारी की जिम्मेदारी किस एजेंसी को सौंपी जाएगी। एजेंसी तय न होने के कारण कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। अदालत ने इस स्थिति पर असंतोष जताते हुए उम्मीद जताई कि अगली सुनवाई से पहले संबंधित विभाग कोई स्पष्ट निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे। इस मामले को न्यायिक इतिहास के सबसे लंबे समय तक लंबित और जटिल मामलों में से एक माना जा रहा है, जहां सजा सुनाए जाने के बाद भी आरोपी दशकों से कानून की पकड़ से बाहर है।

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