Tue, 15 Jul 2025 15:08:11 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय क्रिकेटर यश दयाल को एक गंभीर आरोप में अंतरिम राहत दी है। मंगलवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट की खंडपीठ न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनिल कुमार ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने में दर्ज एफआईआर के संबंध में पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही, अदालत ने इस मामले में सभी विपक्षी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
आपको बताते चलें कि यश दयाल के खिलाफ एक युवती ने गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि क्रिकेटर ने शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन शोषण किया। यह प्राथमिकी 6 जुलाई को गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 69 के तहत दर्ज की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए यश दयाल ने इस एफआईआर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए और प्राथमिकी को रद्द किया जाए।
याचिका में दयाल ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार, इंदिरापुरम थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) और शिकायतकर्ता युवती को पक्षकार बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि दर्ज प्राथमिकी झूठे और मनगढंत आरोपों पर आधारित है तथा इससे उनकी छवि और करियर दोनों को नुकसान पहुंच सकता है।
मंगलवार को डबल बेंच के समक्ष हुई सुनवाई में यश दयाल की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि मामला आपसी सहमति का है और इसमें यश दयाल को अनावश्यक रूप से फंसाया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने फिलहाल पुलिस को यश दयाल के खिलाफ किसी भी तरह की प्रताड़ना या दंडात्मक कार्रवाई से रोक दिया है।
अब इस मामले में सभी विपक्षियों को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब मांगा है, ताकि दोनों पक्षों की बात सुनकर आगे की कार्यवाही की जा सके। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक आरोपी के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए।
गौरतलब है कि यश दयाल भारतीय क्रिकेट जगत का एक उभरता हुआ नाम हैं, जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों ने न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि उनकी पेशेवर छवि पर भी असर डाला है। ऐसे में हाईकोर्ट का यह आदेश उनके लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई में अदालत इस याचिका पर विस्तार से विचार करेगी और तय करेगी कि प्राथमिकी को रद्द किया जाए या नहीं।