Wed, 23 Jul 2025 16:34:34 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के युवा नेता और रामपुर से पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज फर्जी पासपोर्ट और दो पैन कार्ड के मामलों में दायर दोनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अब्दुल्ला आजम ने इन याचिकाओं के माध्यम से रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में उनके खिलाफ चल रही सुनवाई को समाप्त कराने की गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया। एक जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद यह फैसला बुधवार को सुनाया गया। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब अब्दुल्ला को रामपुर की अदालत में अपने विरुद्ध चल रहे ट्रायल का सामना करना होगा।
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि अब्दुल्ला ने गलत जन्मतिथि का उपयोग कर फर्जी पासपोर्ट बनवाया और सरकारी दस्तावेजों में झूठी जानकारी दी। इस पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471, 420 तथा पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा 12(1A) के तहत मुकदमा दर्ज किया। आकाश सक्सेना के अनुसार, अब्दुल्ला को 10 जनवरी 2018 को जो पासपोर्ट जारी हुआ था, उसमें जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है, जबकि उनके शैक्षिक दस्तावेजों में यह 1 जनवरी 1993 है। यह विसंगति खुद को प्रमाणित करने वाले दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
फर्जी पासपोर्ट के अलावा एक और मामला दो अलग-अलग पैन कार्ड रखने से जुड़ा है, जिसमें भी बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ही शिकायतकर्ता हैं। इस मामले में एफआईआर छह दिसंबर 2019 को दर्ज की गई थी। आरोप के अनुसार, अब्दुल्ला आजम ने 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने नाम से दो पैन कार्ड इस्तेमाल किए। चुनावी हलफनामे में उन्होंने पैन नंबर DWAPK7513R प्रस्तुत किया, जबकि आयकर रिटर्न दाखिल करते समय उन्होंने DFOPK6164K नंबर का उल्लेख किया। इसपर अब्दुल्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120-B के तहत मामला दर्ज किया गया। आकाश सक्सेना ने इस पूरे घटनाक्रम को एक सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए आरोप लगाया कि पिता आजम खान ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी कर बेटे के लिए ये फर्जी दस्तावेज तैयार कराए।
इन दोनों मामलों की सुनवाई रामपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है, जहां अब्दुल्ला आजम ट्रायल फेस कर रहे हैं। इसी ट्रायल को चुनौती देते हुए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोनों मामलों में याचिकाएं दाखिल की थीं, जिसमें यह आग्रह किया गया था कि उनके विरुद्ध चल रही संपूर्ण न्यायिक प्रक्रिया को रद्द किया जाए। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अदालत में पक्ष रखा। याचिकाकर्ता अब्दुल्ला की ओर से अधिवक्ता इमरान उल्लाह और मोहम्मद खालिद ने दलीलें पेश कीं, जबकि शिकायतकर्ता आकाश सक्सेना की ओर से अधिवक्ता शरद शर्मा और समर्पण जैन ने कोर्ट को तथ्यों से अवगत कराया।
जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने सभी दलीलों को सुनने के बाद 1 जुलाई को फैसला सुरक्षित कर लिया था। अंततः बुधवार को सुनाए गए फैसले में हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में अब्दुल्ला आजम को न्यायिक कार्यवाही का सामना करना ही होगा, और उन्हें किसी तरह की राहत फिलहाल उच्च न्यायालय से नहीं मिल पाई है।
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि अब्दुल्ला आजम और उनके पिता आजम खान दोनों लंबे समय से कानूनी विवादों में घिरे रहे हैं। हाईकोर्ट के इस निर्णय से जहां बीजेपी को नैतिक बढ़त मिलती दिख रही है, वहीं समाजवादी पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब नजरें रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इन गंभीर आरोपों पर ट्रायल जारी रहेगा।