Wed, 26 Nov 2025 16:03:52 - By : Garima Mishra
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हॉकी खिलाड़ियों और चयन प्रक्रिया को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विश्वविद्यालय की हॉकी टीम, जिसने नॉर्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप जीतकर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का क्वालिफिकेशन हासिल किया था, निर्धारित समय पर जयपुर के लिए रवाना ही नहीं हुई। टीम के खिलाड़ियों ने अपने ही कप्तान मोहम्मद सैफ को अंतिम स्क्वाड से बाहर किए जाने का विरोध किया और पूरे दल ने यात्रा करने से इनकार कर दिया। इससे 18 खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक गया है और पूरे परिसर में यह मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
नॉर्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी प्रतियोगिता वर्ष 2024 और 2025 के सत्र में अलीगढ़ में आयोजित हुई थी। एएमयू की टीम ने मोहम्मद सैफ की कप्तानी में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान हासिल किया था। नियमों के अनुसार नॉर्थ जोन की शीर्ष चार टीमें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भाग लेने की पात्र होती हैं। इस जीत के बाद एएमयू की टीम के लिए यह एक बड़ा अवसर था। खिलाड़ियों ने उम्मीद की थी कि वही स्क्वाड जयपुर में होने वाली प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा।
लेकिन अंतिम समय में विश्वविद्यालय की चयन समिति द्वारा मोहम्मद सैफ का नाम टीम से बाहर कर दिया गया। सैफ का कहना है कि चयनकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी में उनके एडमिशन न होने को आधार बताया है। जबकि सैफ का तर्क है कि नियमों के अनुसार नॉर्थ जोन में खेल चुकी और विजेता टीम को ही खेलो इंडिया में भेजा जाना चाहिए। इस निर्णय का विरोध करते हुए टीम के अधिकांश खिलाड़ियों ने जयपुर जाने से इनकार कर दिया।
स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि 26 नवंबर को एएमयू का वीर बहादुर सिंह यूनिवर्सिटी के साथ पहला मुकाबला होना था, लेकिन 25 नवंबर की देर रात तक टीम परिसर से रवाना ही नहीं हो सकी। खिलाड़ियों के इस सामूहिक विरोध ने विश्वविद्यालय प्रशासन की चयन प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मोहम्मद सैफ ने इस मामले में एएमयू के कुलपति और रजिस्ट्रार को औपचारिक शिकायत भेजी है। खिलाड़ियों का कहना है कि यह निर्णय न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि उन खिलाड़ियों के भविष्य को भी नुकसान पहुंचाता है जिन्होंने मेहनत कर टीम को नॉर्थ जोन में जीत दिलाई थी। अगर टीम जयपुर नहीं पहुंचती तो खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में एएमयू की भागीदारी स्वतः समाप्त हो सकती है।
इस विवाद ने विश्वविद्यालय के खेल विभाग और चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सबकी नजरें विश्वविद्यालय प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या समाधान निकालता है और क्या टीम को अंतिम समय पर खेल में भाग लेने के लिए भेजा जा सकेगा।