Sat, 29 Nov 2025 15:46:19 - By : Garima Mishra
आजमगढ़: तरवां थाना क्षेत्र के महुआरी मठिया गांव में मंगलवार देर रात एक भयावह घटना हुई जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। घरेलू कलह ने एक परिवार की जिंदगी उथल पुथल कर दी जब सुनील यादव ने आधी रात को अपनी पत्नी सुनीता यादव की चाकू से हत्या कर दी। यह घटना रात करीब 12 बजे हुई जब किसी बात को लेकर दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद अचानक हिंसक रूप ले गया। सुनील ने पहले पत्नी को पीटा और फिर पेंचकस और चाकू से हमला कर दिया। गंभीर घाव लगने से सुनीता की मौके पर ही मौत हो गई।
हमले के वक्त घर में दंपति के तीन बच्चे मौजूद थे। उनका बड़ा बेटा हर्ष यादव 16 वर्ष, बेटी अंशिका 14 वर्ष और छोटा बेटा प्रिंस 8 वर्ष चीखते हुए रोने लगे, लेकिन रात की निस्तब्धता के बावजूद पड़ोसी मदद के लिए बाहर नहीं निकले। बच्चों के अनुसार पिता काफी गुस्से में थे और बार बार लड़ाई को और बढ़ाते जा रहे थे। बच्चे अपनी मां को बचाने में असमर्थ रहे।
घटना की सूचना बड़े बेटे ने पुलिस को दी। सूचना मिलते ही तरवां थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची। थोड़ी देर बाद वरिष्ठ अधिकारी भी गांव पहुंचे। फील्ड यूनिट और डॉग स्क्वायड ने पूरे घर की जांच की और सबूत एकत्र किए। सुनीता का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी पति सुनील यादव को हिरासत में ले लिया गया है और उसके खिलाफ आवश्यक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार सुनील की खरिहानी बाजार में दुकान है और पिछले कई महीनों से दोनों के बीच तनाव की जानकारी पड़ोसियों ने भी दी है।
मृतका के परिवार वाले भी घटनास्थल पर पहुंचे और आरोप लगाया कि सुनील अक्सर सुनीता को मारता पीटता था, लेकिन इस बार हालात इतने बिगड़े कि सुनीता की जान चली गई। पुलिस अब मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
इस घटना ने पूरे इलाके में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि घरेलू हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं लेकिन अक्सर समय पर शिकायत दर्ज नहीं की जाती। पड़ोसियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने शोर तो सुना था, लेकिन किसी ने मदद करने की हिम्मत नहीं की। इससे कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या समाज की संवेदनशीलता कम होती जा रही है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसी घटनाएं समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। क्या हम अपने आसपास हो रही हिंसा को नजरअंदाज कर रहे हैं। क्या हम जरूरत के समय किसी की मदद करने में डरते हैं। यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है कि घरेलू विवाद और हिंसा को अनदेखा करना कितना खतरनाक हो सकता है।