Wed, 06 Aug 2025 17:46:11 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बलिया: मंडी समिति में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहराई तक फैली हैं, इसका एक ताजा उदाहरण बुधवार को सामने आया, जब एंटी करप्शन टीम की विशेष कार्रवाई में मंडी सचिव धर्मेंद्र सिंह यादव और मंडी सहायक ओम प्रकाश को 21 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। टीम ने दोनों को मंडी परिसर से गिरफ्तार किया और मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत नगर कोतवाली ले गई। इस कार्रवाई ने न सिर्फ मंडी विभाग में हड़कंप मचा दिया, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए इस कदम को लेकर स्थानीय व्यापारियों और आम लोगों के बीच एक तीखी बहस भी छेड़ दी है।
सूत्रों के अनुसार, आजमगढ़ से पहुंची एंटी करप्शन टीम को यह सूचना मिली थी कि मंडी में थोक सब्जी व्यापारियों से लाइसेंस बनवाने के नाम पर मोटी रिश्वत मांगी जा रही है। इस शिकायत को लेकर राजू सिंह नामक एक आढ़तिया ने मंडी सहायक ओम प्रकाश पर 26 हजार रुपये की मांग का आरोप लगाया था। शिकायत के सत्यापन के बाद, टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया। बुधवार को जब ओम प्रकाश और सचिव धर्मेंद्र सिंह यादव, राजू सिंह से 21 हजार रुपये की रिश्वत की पहली किस्त ले रहे थे, उसी समय टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।
मंडी में ही हुई इस कार्रवाई से माहौल पूरी तरह से गरमा गया। अन्य व्यापारी स्तब्ध रह गए, वहीं कुछ ने राहत की सांस ली कि अंततः भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया गया। बताया जा रहा है कि मंडी समिति में लंबे समय से इस तरह की अनियमितताएं चल रही थीं, जिनकी शिकायतें विभिन्न माध्यमों से समय-समय पर की जाती रही थीं, लेकिन अब जाकर कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है।
गिरफ्तारी के बाद दोनों अधिकारियों को नगर कोतवाली लाया गया, जहां उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही, एंटी करप्शन विभाग की टीम अब दोनों से विस्तृत पूछताछ कर रही है कि क्या इस घूसखोरी में और भी कोई अधिकारी या कर्मचारी शामिल हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद मंडी प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों भ्रष्टाचार इस कदर बेलगाम हो गया कि आम व्यापारियों को भी इसका विरोध करना पड़ा।
स्थानीय व्यापारियों और नागरिक संगठनों ने एंटी करप्शन टीम की तत्परता की सराहना करते हुए यह मांग भी उठाई है कि इस प्रकार की छापेमारी आगे भी जारी रहनी चाहिए, जिससे मंडी समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को सबक मिल सके। वहीं, प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि इस गिरफ्तारी के बाद उच्चाधिकारियों के स्तर पर भी कई जांचें शुरू की जा सकती हैं।
बलिया मंडी में हुई यह कार्रवाई एक संकेत है कि भ्रष्टाचार चाहे जितना गहरा हो, अगर आम नागरिक आवाज उठाए और एजेंसियां निष्पक्षता से काम करें, तो व्यवस्था में सुधार संभव है। इस घटनाक्रम ने जहां मंडी समिति के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, वहीं यह भी साबित किया है कि अब जनता भी जागरूक हो गई है।