Tue, 02 Sep 2025 15:25:04 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रामस्वरूप यूनिवर्सिटी को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राज्य की राजनीति तक पहुंच गया है। विश्वविद्यालय में बिना मान्यता पढ़ाई कराए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं और छात्राओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज ने मामले को और गंभीर बना दिया है। छात्रों पर हुई इस बर्बर कार्रवाई की गूंज अब लखनऊ तक सुनाई दे रही है। भाजपा नेताओं के साथ ही विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हो गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए तुरंत सख्त कार्रवाई की है। सीएम के निर्देश पर सीओ सिटी हर्षित चौहान, कोतवाल आरके राणा और चौकी इंचार्ज को उनके पदों से हटा दिया गया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी की मान्यता की जांच अयोध्या मंडलायुक्त को सौंपी गई है, जबकि छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की अलग से जांच आईजी प्रवीण कुमार करेंगे। मामले के बाद जिले में अलर्ट घोषित कर दिया गया है और विश्वविद्यालय परिसर में भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गई है।
छात्रों का आरोप है कि रामस्वरूप यूनिवर्सिटी का लॉ विभाग बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के बिना संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा फीस के नाम पर भी छात्रों का शोषण किया जा रहा है। विद्यार्थियों ने दावा किया है कि मामूली बकाया रकम, यहां तक कि 100 रुपये तक की देरी पर भी पांच हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला जाता है। इन आरोपों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 29 अगस्त को छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में बिना मान्यता पढ़ाई को लेकर विरोध जताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद 1 सितंबर की सुबह छात्राओं ने फीस वापसी और मान्यता को लेकर प्रदर्शन शुरू किया। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जवाबी कार्रवाई में दो छात्रों को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद आक्रोश और बढ़ा और ABVP के प्रांत संगठन मंत्री पुष्पेंद्र समेत कई पदाधिकारी यूनिवर्सिटी पहुंचे। आरोप है कि इसी दौरान कॉलेज प्रशासन ने निजी लोगों से छात्रों पर हमला कराया, जिससे हालात बेकाबू हो गए।
करीब दोपहर तीन बजे सीओ सिटी मौके पर पहुंचे और बातचीत का प्रयास किया, लेकिन समाधान न निकलने पर हालात और बिगड़ गए। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया। इस दौरान कई छात्र और छात्राएं घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों में शामिल पुष्पेंद्र समेत 20 से अधिक कार्यकर्ता गंभीर रूप से चोटिल हुए, जिन्हें पहले मेयो मेडिकल कॉलेज और फिर जिला अस्पताल भेजा गया।
इसके बाद छात्रों और पुलिस के बीच टकराव और बढ़ा। गुस्साए छात्रों ने चौकी में तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पूरे घटनाक्रम ने जिले का माहौल तनावपूर्ण बना दिया।
घटना के बाद भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता अस्पताल पहुंचे और छात्रों से मुलाकात कर उनका समर्थन जताया। वहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुलिस की कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा करते हुए लिखा कि यह लाठीचार्ज सरकार की नाकामी और हताशा का प्रतीक है। उन्होंने सवाल उठाया कि छात्रों की जायज मांगों को समझने के बजाय पुलिसिया कार्रवाई क्यों की गई।
घटना के बाद से ही रामस्वरूप यूनिवर्सिटी परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है। पुलिस बल, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस सुबह से ही कैंपस में मौजूद हैं। जिले भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके। प्रशासनिक सख्ती के बीच छात्र संगठन अब भी अपने आंदोलन को जारी रखने के मूड में दिख रहे हैं।